राजगृह का श्रेष्ठीपुत्र सिगाल सुबह-सुबह उठ कर नगर के बाहर गया। भीगे वस्त्रों से और भीगे केश से पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, नीचे और ऊपर छहों दिशाओं की ओर हाथ जोड़-जोड़ कर नमस्कार करने लगा। उन दिनों की अनेक पूजन-विधियों और कर्मकांडों में से यह भी एक था। उसी समय भगवान वेणुवन विहार से निकले और राजगृह नगर में भिक्षाटन …
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इन सात बातों से मजबूत होता है पति-पत्नी का रिश्ता
दाम्पत्य कहते किसे हैं? क्या सिर्फ विवाहित होना या पति-पत्नी का साथ रहना दाम्पत्य कहा जा सकता है। पति-पत्नी के बीच का ऐसा धर्मसंबंध जो कर्तव्य और पवित्रता पर आधारित हो। इस संबंध की डोर जितनी कोमल होती है, उतनी ही मजबूत भी। जिंदगी की असल सार्थकताको जानने के लिये धर्म-अध्यात्म के मार्ग पर दो साथी, सहचरों का प्रतिज्ञा बद्ध होकर आगे बढऩा ही दाम्पत्य या वैवाहिक जीवन का मकसदहोता है। यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तरों पर स्त्री और पुरुष दोनों ही अधूरे होते हैं। दोनों के मिलन से हीअधूरापन भरता है। दोनों की अपूर्णता जब पूर्णता में बदल जाती है तो अध्यात्म के मार्ग पर बढऩा आसान और आंनद पूर्ण हो जाता है। दाम्पत्यकी भव्य इमारत जिन आधारों पर टिकी है वे मुख्य रूप से सात हैं। रामायण में राम सीता के दाम्पत्य में ये सात बातें देखने को मिलती हैं। संयम : यानि समय-यमय पर उठने वाली मानसिक उत्तेजनाओं जैसे- कामवासना, क्रोध, लोभ, अहंकार तथा मोह आदि पर नियंत्रण रखना।राम-सीता ने अपना संपूर्ण दाम्पत्य बहुत ही संयम और प्रेम से जीया। वे कहीं भी मानसिक या शारीरिक रूप से अनियंत्रित नहीं हुए। संतुष्टि : यानि एक दूसरे के साथ रहते हुए समय और परिस्थिति के अनुसार जो भी सुख-सुविधा प्राप्त हो जाए उसी में संतोष करना। दोनों एकदूसरे से पूर्णत: संतुष्ट थे। कभी राम ने सीता में या सीता ने राम में कोई कमी नहीं देखी। संतान : दाम्पत्य जीवन में संतान का भी बड़ा महत्वपूर्ण स्थान होता है। पति-पत्नी के बीच के संबंधों को मधुर और मजबूत बनाने में बच्चों कीअहम् भूमिका रहती है। राम और सीता के बीच वनवास को खत्म करने और सीता को पवित्र साबित करने में उनके बच्चों लव और कुश ने बहुतमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। संवेदनशीलता : पति-पत्नी के रूप में एक दूसरे की भावनाओं का समझना और उनकी कद्र करना। राम और सीता के बीच संवेदनाओं का गहरारिश्ता था। दोनों बिना कहे-सुने ही एक दूसरे के मन की बात समझ जाते थे। संकल्प : पति-पत्नी के रूप अपने धर्म संबंध को अच्छी तरह निभाने के लिये अपने कर्तव्य को संकल्पपूर्वक पूरा करना। सक्षम : सामथ्र्य का होना। दाम्पत्य यानि कि वैवाहिक जीवन को सफलता और खुशहाली से भरा-पूरा बनाने के लिये पति-पत्नी दोनों कोशारीरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत ही आवश्यक है। समर्पण : दाम्पत्य यानि वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति पूरा समर्पण और त्याग होना भी आवश्यक है। एक-दूसरे कीखातिर अपनी कुछ इच्छाओं और आवश्यकताओं को त्याग देना या समझौता कर लेना दाम्पत्य संबंधों को मधुर बनाए रखने के लिये बड़ा हीजरूरी होता है। सात फेरों की मजबूती बत्तीस वचनों से पवित्र अगि्न को साक्षी मानकर लिए गए सात फेरे जिंदगी का अहम हिस्सा होते हैं, जिसमें प्यार, संयम, समझदारी के साथ जिंदगी भर साथ निभाने का वादा होता है, इसलिए अगर आप भी विवाह के पवित्र बंधन में बंधने जा रहे हैं तो इन …
Read More »जानवरों को भोजन कराने से होते हैं ये सारे लाभ
सनातन धर्म में हर जानवरों का अपना महत्व है। किसी को भी भोजन करवाने से पुण्य मिलता है जिससे मुश्किलों से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं कौन से जानवर को भोजन करवाने से क्या लाभ मिलता है… 1. गाय को पहली बनी रोटी खिलाना बहुत शुभ माना जाता है। गाय को प्रतिदिन रोटी और चारा खिलाने से कष्टों से …
Read More »ये छोटे- छोटे टोटके ला सकतें है आपके जीवन में खुशियाँ
भोजन के बाद अधिकतर लोग पान खाने का मन रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पान का सामाजिक, अध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी होता हैं। हिन्दू धर्म में पान का उपयोग हर पूजा और मंगल कार्य में किया जाता हैं। पान शुभ और संपन्नता का प्रतीक है यही वजह है कि पान हिन्दू धर्म में काफी पवित्र माना …
Read More »घर, कारोबार में बरकत पाने के लिए करे ये उपाय
बरकत का अर्थ है हर प्रकार की सुख समर्धि। लेकिनआज के भाग दौड़ वाले जीवन में ये सब नामुमकिन हो गया है। किसी के पास सुख है तो उसके पास पैसे नहीं है, और किसी के पास पैसे है तो उसके पास सुख और शांति नहीं है। हर कोई चाहता है कि उसके घर कारोबार में बरकत हो। कई बार …
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