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रावण ने स्वयं चुनी थी श्रीराम के हाथों मृत्यु जानें क्यों ?

जब जीव के स्वभाव में रजोगुण अथवा तमोगुण की अधिकता होती है, तो उनके सभी कर्म, कामना और आसक्ति से प्रेरित होते हैं। तमोगुण से उत्पन्न अज्ञान तो मनुष्य में कर्तव्य कर्मों के प्रति अप्रवृत्ति उत्पन्न करता है, अगर उपरोक्त गुण जीव के स्वभाव में आ जाएं तो लोभ, स्वार्थ बुद्धि से कर्मों का सकामभाव से आरंभ,अशांति, विषय भोगों की …

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वनवास में यहां आए थे सीता और श्रीराम, आज भी बने हैं कदमों के निशान

भारत भूमि पर भगवान के अनेक अवतार हुए हैं। उनका उद्देश्य मानव को सत्य का संदेश देना था। यहां के कई तीर्थों में ऐसी विशेषताएं पाई जाती हैं जिनका संबंध उन अवतारों से रहा है। भले ही आज का विज्ञान उन्हें सहज रूप में स्वीकार नहीं करता लेकिन इससे श्रद्धा की डोर कभी कमजोर नहीं हुई। ऐसा ही एक मंदिर …

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कथाः विष्णु जी ने शिव को क्यों अर्पित कर दिया था अपना नेत्र?

भगवान की कृपा का दूसरा नाम ही वरदान है। जिस पर उनकी कृपा होती है उसके जीवन में आने वाले शूल भी फूल बन जाते हैं। पुराणों में भगवान के वरदान से संबंधित अनेक कथाएं हैं जो एक भक्त का अपने भगवान पर भरोसा और मजबूत करती हैं। सभी देवों में शिवजी सबसे शीघ्र प्रसन्न होने वाले, दयालु और वरदानी …

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अभागों का भाग्य बन जाता है इनके साथ से

एक संत हजारों असंत को संत बना सकते हैं लेकिन हजारों संसारी मिल कर भी एक संत नहीं बना सकते। संत बनना कोई मजाक की बात नहीं है। एक संत कइयों के डूबते हुए बेड़े तार सकते हैं, कइयों के पापमय मन को पुण्यवान बना सकते हैं। कई अभागों का भाग्य बना सकते हैं, कई नास्तिकों को आस्तिक बना सकते …

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कर्ण से एकांत में हुर्इ थी ये भूल, बन गर्इ मौत की वजह

 महाभारत के युद्ध में अनेक वीर काल के मुंह में समा गए। कौरवों की सेना में पितामह भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महान धनुर्धर थे। फिर भी उनकी सेना पराजित हुई। कर्ण कुंती के पुत्र थे लेकिन उनके जीवन में परिस्थितियां ऐसी थीं कि उन्हें कौरवों का साथ देना पड़ा। कर्ण की मृत्यु युद्धभूमि में अर्जुन के बाण से हुई …

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