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अनुशासन के बिना विकास नहीं

प्राचीन समय में एक नगर था। वहां एक मठ था। उस मठ के एक वरिष्ठ भिक्षु रहते थे। उनके पास अनेकों सिद्धियां थीं, जिसके चलते उनका सम्मान होता था। सम्मान बहुत बड़ी चीज होती है ये वो जानते थे। इसलिए उनकी महत्वाकांक्षा और कुछ न थी। एक दिन दोपहर के समय वह अपने शिष्यों के साथ ध्यान कर रहे थे। …

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तो क्या देवी सरस्वती का रूप हैं जापानी देवी बेंजाइटन

हिंदू देवी मां सरस्वती, भारत ही नहीं जापान में भी रहती हैं। फर्क इतना सा है कि यहां उनका नाम मां सरस्वती न होकर ‘बेंजाइटन’ है। दरअसल बेंजाइटन जापानी बौद्ध देवी है, जिनका स्वरूप हिंदू देवी मां सरस्वती से मिलता है। 6वी7वीं शताब्दी से जापान में बेंजाइटन देवी की पूजा शुरू हुई जो वर्तमान में भी जारी है। बेंजाइटन देवी …

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यहां हुआ था हनुमानजी का जन्म, एक भूल से बंद हो गया गुफा का द्वार

गुमला। रामभक्त हनुमान अजर-अमर हैं। उनका नाम सप्त चिरंजीवियों में शामिल है। देश-दुनिया में उनके अनेक मंदिर हैं लेकिन हनुमानजी का जन्मस्थान कहां है, इसकी चर्चा कम ही होती है।     झारखंड में एक गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहां हनुमानजी का जन्म हुआ था। यह स्थान  गुमला जिले से करीब 21 किमी की दूरी पर …

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एक नाग वंशज की जुबानी, नागवंश की अमिट कहानी

‘नाग’ भारतीय धर्म और संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। हमारे धर्म ग्रंतों में नागराज वासुकि, तक्षक नाग, शेषनाग और भी अन्य नागों का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। भारतीय पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि भारती उप महाद्वीप के उत्तर-पश्चिम में बसे तक्षशिला का संबंध तक्षक नाग से है। सदियों पहले तक्षशिला के आस-पास का क्षेत्र नागों का था। धरती …

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कहते हैं चाणक्य, इन 4 कामों से मिलता है सिर्फ कुछ देर का आनंद

हर धर्म की मान्यता है कि संसार और इसके सभी सुख क्षणभंगुर हैं। यहां कुछ भी स्थाई नहीं है। कालचक्र के सामने हर बलवान छोटा होता है। इसलिए हमारे प्राचीन ग्रंथों में परोपकार पर बहुत जोर दिया गया है, क्योंकि जीवन का अंतिम क्षण कौनसा होगा, यह कोई नहीं जानता।    आचार्य चाणक्य ने भी अपने अनुभव के आधार पर …

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