Web_Wing

सावन के महीने में जरुर करें हनुमानजी के ये उपाय, पूरी होगी मनमांगी मुराद

श्रावण (सावन) महीने के महीने में जहां भगवान शिव की आराधना का विशेष फल मिलता है वहीं इससमय भोलेनाथ के ग्यारहवें रुद्रावतार हनुमानजी की भी पूजा की जाती है। सावन के महीने में किए गएहनुमानजी के इन उपायों से बड़े से बड़े काम भी आासानी से हो जाते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछउपाय पहला उपाय सावन माह के किसी भी मंगलवार को नहा-धोकर साफ धुले हुए वस्त्र पहनें। इसके बाद नजदीकीहनुमान मंदिर में जाकर चमेली के तेल तथा सिंदूर मिश्रित चोला चढ़ाएं। साथ ही चोला चढ़ाते समयएक दीपक हनुमानजी के सामने जला कर रख दें। दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करें। चोला चढ़ाने के बाद हनुमानजी को गुलाब के फूल की माला पहनाएं और केवड़े का इत्र हनुमानजी कीमूर्ति के दोनों कंधों पर थोड़ा-थोड़ा छिटक दें। अब एक साबूत पान का पत्ता लें और इसके ऊपर थोड़ागुड़ व चना रख कर हनुमानजी को इसका भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद उसी स्थान पर थोड़ी देरबैठकर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र का जप करें। कम से कम 5 माला जप अवश्य करें। मंत्र- राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम ततुल्यम राम नाम वरानने।।  अब हनुमानजी को चढाएं गए गुलाब के फूल की माला से एक फूल तोड़ कर उसे एक लाल कपड़े मेंलपेटकर अपने धन स्थान यानी तिजोरी में रखें। उसी समय में घर में धन आने लगेगा। दूसरा उपाय सावन के किसी भी मंगलवार को सुबह स्नान करने के बाद बड़ के पेड़ का एक पत्ता तोड़ें और इसे साफस्वच्छ पानी से धो लें। अब इस पत्ते को कुछ देर हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रखें और इसके बादइस पर केसर से श्रीराम लिखें। अब इस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। साल भर आपका पर्स पैसों सेभरा रहेगा। इसके बाद जब दोबारा सावन का महीना आए तो इस पत्ते को किसी नदी में प्रवाहित कर देंऔर इसी प्रकार से एक और पत्ता अभिमंत्रित कर अपने पर्स में रख लें। तीसरा उपाय सावन में मंगलवार के दिन किसी हनुमानजी के मंदिर जाएं और वहां बैठकर राम रक्षा स्त्रोत का पाठकरें। इसके बाद हनुमानजी को गुड़ और चने का भोग लगाएं। जीवन में यदि कोई समस्या है तो उसकानिवारण करने के लिए प्रार्थना करें। चौथा उपाय सावन में मंगलवार के दिन किसी ऐसे मंदिर जाएं जहां भगवान शिव व हनुमानजी दोनों की ही प्रतिमाहो। वहां जाकर शिव व हनुमानजी की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी के दीपक जलाएं। इसके बाद वहींबैठकर शिव चालीसा तथा हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से भगवान शिव व हनुमानजी दोनोंकी ही कृपा आपको प्राप्त होगी। पांचवा उपाय सावन के मंगलवार को पास ही स्थित हनुमानजी के किसी मंदिर में जाएं और हनुमानजी को सिंदूर वचमेली का तेल अर्पित करें और अपनी मनोकामना कहें। इससे हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और भक्त कीहर मनोकामना पूरी करते हैं। छठा उपाय मंगलवार के दिन घर में पारद से निर्मित हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करें। पारद को रसराज कहाजाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार पारद से बनी हनुमान प्रतिमा की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जातेहैं। पारद से निर्मित हनुमान प्रतिमा को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वतः ही दूर हो जातेहैं साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता है। प्रतिदिन इसकी पूजा करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक परकिसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है। यदि किसी को पितृदोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद हनुमान प्रतिमाकी पूजा करनी चाहिए। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है। सातवा उपाय सावन में किसी मंगलवार के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद बड़ के पेड़ से 11 या 21 पत्ते तोड़े लें।ध्यान रखें कि ये पत्ते पूरी तरह से साफ व साबूत हों। अब इन्हें स्वच्छ पानी से धो लें और इनके ऊपरचंदन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। अब इन पत्तों की एक माला बनाएं। माला बनाने के लिए पूजामें उपयोग किए जाने वाले रंगीन धागे का इस्तेमाल करें। अब समीप स्थित किसी हनुमान मंदिर जाएंऔर हनुमान प्रतिमा को यह माला पहना दें। हनुमानजी को प्रसन्न करने का यह बहुत प्राचीन टोटकाहै। आठवां उपाय यदि आप पर कोई संकट है तो सावन में किसी मंगलवार के दिन नीचे लिखे हनुमान मंत्र का विधि-विधान से जप करें। इसकी विधि इस प्रकार है कि सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्मसे निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुल देवता को नमन करकुश का आसन ग्रहण करें। पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जप करेंगे तो विशेष फलमिलता है। जप के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें। मंत्र निम्न प्रकार हैः ऊं नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा पति-पत्नी के रिश्ते में आए खटास तो आजमाएं इस टोटके को परिवार में यदि पति-पत्नी के मध्य क्लेश रहता हो, अथवा अन्य पारिवारिक सदस्यों के मध्य वैचारिकमतभेद अधिक रहते हों आप समझ नहीं पा रहे हैं कि इस समस्या से आप कैसे छूटकारा पाएं। ऐसाक्या करें? कि आपका दांपत्य जीवन सुख व शांति से भर जाएं व आपसी मतभेद खत्म हो जाए। इसकेलिए आपको कुंजिका स्त्रोत के मंत्र का नियमित रूप से बताई गई विधि के अनुसार जप करना चाहिए।इससे निश्चित ही आपके रिश्ते में मिठास बढऩे लगेगी। प्रतिदिन इस मंत्र का 108 बार जप करनाचाहिए। जप लाल चन्दन की माला से करना चाहिए और पूजा के समय कालिका देवी या दुर्गा जी विग्रहपर लाल पुष्प अवश्य चढ़ाने चाहिये। मंत्र इस प्रकार है धां धी धू धूर्जटे: पत्नी वां वी वू वागधीश्वरी। क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शा शीं शू में शुभं कुरू।। पति-पत्नी के साथ-साथ यदि अन्य सदस्यों के मध्य भी किसी प्रकार के वैचारिक मतभेद हों या परस्परसामंजस्य का अभाव हो, तो ऐसी स्थिति में यह प्रयोग किया जा सकता है। सुबह सूर्योदय के समय घरके मटके या बर्तन में से घर के सभी सदस्य पानी पीते हों, उसमें से एक लोटा जल लें और तत्पश्चातउस जल को अपने घर में प्रत्येक कक्ष में छत पर छिड़के। इस दौरान किसी से बात नहीं करें एव मन हीमन निम्रलिखित मन्त्र का उच्चारण करते रहें। इस मंत्र से सब करने लगेंगे आपकी तारीफ कोई भी इंसान अपनी बुराई सुनना पसंद नहीं करता है। कोई भी नहीं चाहता कि उसका दुनिया में कोईभी दुश्मन हो। लेकिन कोई कितनी भी कोशिश कर ले उसका कोई ना कोई विरोधी जरूर रहता है। ऐसेमें जब कोई आपके पीठ के पीछे आपकी बुराई करता है। सफलता के रास्ते में रोड़े अटकाता है। ऐसे मेंतनाव होना एक साधारण सी बात है।यह कोई नहीं चाहता कि इस दुनिया में उसका कोई दुश्मन भी हो। यह अनुभव की बात है कि कई बार जहां इंसानी प्रयास सफल नहीं होते, वहां कोई तंत्र-मंत्र चमत्कार करदेते हैं। अपने विरोधियों अथवा शत्रुओं को शांत करने, अपने अनुकूल बनाने अथवा अपने वश में करनेके लिये, नीचे दिये गए मंत्र का नियमबद्ध जप करना आश्चर्यजनक प्रभाव दिखाता है- मंत्र- नृसिंहाय विद्महे, वज्र नखाय धी मही तन्नो नृसिहं प्रचोदयात्

Read More »

भगवान राम के ये विग्रह उनके आने से पहले ही पृथ्वी पर आ गए थे, आज भी होते हैं दर्शन

इस्कान के संस्थापक आचार्य परमपूज्यपाद नित्यलीलाप्रविष्ट श्री श्रीमद् भक्तिवेदान्त स्वामी महाराज जी ने लिखा है कि आध्यात्म रामायण के 1-15 अध्याय में वर्णन आता है कि भगवान श्रीराम त्रेतायुग में जब इस पृथ्वी पर लीला कर रहे थे तब उनके राज्य में एक भक्त ब्राह्मण रहता था।  उसका नियम था कि वह प्रतिदिन श्रीराम को प्रणाम करने आता था। प्रणाम …

Read More »

सावन के महीने में शिव आराधना के साथ राम नाम का जप देता है शुभ फल

सावन के महीने में शिव आराधना के साथ राम नाम का जप देता है शुभ फल

भगवान शिव को आराध्य मानकर भक्त सावन मास में पूरे मनोयोग से जप-तप और आराधना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव, भगवान राम को और भगवान राम, भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं।सावन माह को मुख्यतः भगवान शिव की पूजा का माह माना जाता है, लेकिन इस माह में भगवान राम का नाम जपने के भी लाभ हैं। …

Read More »

हनुमानजी के छल से बचे थे भगवान श्रीराम के प्राण

हनुमानजी के छल से बचे थे भगवान श्रीराम के प्राण

स्कंद पुराण में वेद व्यासजी अनुसार श्रीमद्रामायण की अति दुर्लभ रामकथा आनंद रामायण ही है । आनंद रामायण के सारकांड अनुसार युद्ध में मेघनाद के मारे जाने पश्चात रावण की मां कैकसी ने उसके पाताल में बसे दो भाइयों अहिरावण और महिरावण की याद दिलाई । अहिरावण व महिरावण तंत्र-मंत्र के महापंडित थे तथा मां कामाक्षी के परम भक्त थे …

Read More »

भगवान श्रीराम के जन्म का महोत्सव को ही क्यों बोलते हैं रामनवमी

भगवान श्रीराम के जन्म का महोत्सव को ही क्यों बोलते हैं रामनवमी

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इस दिन पूरे देश भर में श्रीराम जन्मोत्सवों की धूम रहती है साथ ही हिंदुओं के लिए यह दिन अंतिम नवरात्र होने के कारण भी काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन देवी की विशिष्ट पूजा, हवन और कन्या पूजन भी किया जाता है। गोस्वामी तुलसीदास ने …

Read More »