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कितने विलक्षण शुभ चिह्न थे भगवान राम के पैर में…

श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने मुख्य रूप से श्रीराम के पैर के 5 ही चिह्न का वर्णन किया है- ध्वज, वज्र, अंकुश, कमल और ऊर्ध्व रेखा। किंतु अन्य पवित्र ग्रंथों को मिलाकर देखा जाए तो 48 पवित्र चिह्न मिलते हैं। दक्षिण पैर में 24 और वाम पैर में 24। दिलचस्प तथ्य यह भी है कि जो चिह्न श्रीराम के दक्षिण पैर …

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हनुमानजी की पूजा से शनि के प्रकोप से क्यों बचते हैं, पढ़ें ये रोचक कथा

एक बार महावीर हनुमान श्री राम के किसी कार्य में व्यस्त थे। उस जगह से शनिदेव जी गुजर रहे थे। रास्ते में उन्हें हनुमानजी दिखाई पड़े। अपने स्वभाव की वजह से शनिदेव जी को शरारत सूझी और वे उस रामकार्य में विघ्न डालने हनुमान जी के पास पंहुच गए। हनुमानजी ने शनि देव को चेतावनी दी और उन्हें ऐसा करने से रोका …

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त्रेतायुग में ली गई प्रतिज्ञा को भगवान राम ने द्वापरयुग में की पूरी 

है नीको मेरो देवता कोसलपति राम। सुभग सरोरुह लोचन, सुठि सुंदर स्याम।। सिय-समेत सोहत सदा छबि अमित अनंग। भुज बिसाल सर धनु धरे, कटि चारु निषंग।। बलि-पूजा चाहत नहीं, चाहत एक प्रीति। सुमिरत ही मानै भलो, पावन सब रीति।।  सेतु-बंधन के लिए वानरदल द्वारा पर्वत-खण्डों का लाना वाराहपुराण के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने समुद्र पार कर लंका जाने …

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देवी अम्बिका माता को इसलिए कहा जाता है दुर्गा

आदि शक्ति मां जगदम्बे का ही रूप है देवी दुर्गा। सामान्यतः देवी दुर्गा दो रूपों में जानी जाती हैं, एक में वे दस भुजा वाली तथा दूसरे में अष्ट भुजा रूप में हैं। देवी का वाहन सिंह या बाघ हैं तथा असुर या दैत्य का वध कर रही हैं। हिरण्याक्ष के वंश में उत्पन्न एक महा शक्तिशाली दैत्य हुआ, जो रुरु का …

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क्या आपको मालूम है..? किस युग में हुए विष्णु के कौन से अवतार…

हिंदू धर्म में युग शब्द के अलग-अलग अर्थ है। उल्लेखनीय है कि आपने सुना ही होगा मध्ययुग, आधुनिक युग, वर्तमान युग जैसे अन्य शब्दों को। इसका मतलब यह कि युग शब्द को कई अर्थों में प्रयुक्त किया जाता रहा है। ज्योतिषानुसार 5 वर्ष का एक युग होता है। संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर और युगवत्सर ये युगात्मक 5 वर्ष कहे जाते हैं। बृहस्पति …

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