गणपति अति प्राचीन देव हैं तथा इनका उल्लेख ऋग्वेद व यजुर्वेद में भी मिलता है। पौराणिक मतानुसार गणेशजी का स्वरूप अत्यन्त मनोहर व मंगलदायक है। वे एकदंत व चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र और वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लंबोदर, शूर्पकर्ण व पीतवस्त्रधारी हैं। वे रक्त चंदन धारण करते हैं व उन्हें लाल …
Read More »admin
तीर्थ पर जाकर न करें ऐसे काम अन्यथा आपके पुण्यों का हो जाएगा नाश
प्राचीनकाल से ही तीर्थ यात्रा करने की परंपरा रही है। तीर्थ यात्रा को पुण्य का सर्वोत्तम माध्यम माना गया है। तीर्थ से ही वैराग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है की तीर्थ करने से पापों का क्षय और पुण्यों में वृद्धि होती है। क्या आप जानते हैं कुछ ऐसी मान्यताएं हैं जिनके अनुसार कुछ ऐसे काम हैं …
Read More »जब दैत्यों के हाथों हार गए भगवान विष्णु
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार श्रीदामा नाम का एक क्रूर असुर था जो देवताओं को परेशान किया करता था वो बचपन से ही दैत्येगुरु शुक्राचार्य का शिष्य था। गुरु कृपा से उसको दिव्य शक्तियां और वज्र के समान शरीर प्राप्त था, उसने अपने बल और पराक्रम से देवताओ से स्वर्ग छीन लिया और उन्हें स्वर्ग से निकाल दिया, समस्त देवता दुखी …
Read More »ऐसी सोच दिला सकती है आपको यज्ञ का फल
एक भाव होता है ‘मेरा’, दूसरा है ‘मेरे लिए’ और तीसरा है ‘सबके लिए’। ‘मेरा’ में इंसान केवल अपने बारे में ही सोचता रहता है और यह पक्का कर लेता है कि मेरे पास जो है, वह केवल मेरा है, इस पर केवल मेरा ही अधिकार है। यह सोच अज्ञानी लोगों की होती है, जो हमारे अहंकार को बनाए रखती है। …
Read More »इस पर्वत पर हुई थी श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता
बाली और सुग्रीव दोनों सगे भाई थे। दोनों भाइयों में बड़ा प्रेम था। बाली बड़ा था इसलिए वही वानरों का राजा था। एक बार एक राक्षस रात्रि में किष्किन्धा आकर बाली को युद्ध के लिए चुनौती देते हुए घोर गर्जना करने लगा। बलशाली बाली अकेला ही उससे युद्ध करने के लिए निकल पड़ा। भ्रातृप्रेम के वशीभूत होकर सुग्रीव भी सहायता …
Read More »