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भगवान शिव का ही लिंग रूप में क्यों होता है पूजन?

भगवान शिव देवों के भी देव हैं। उनका पूजन देवता ही नहीं दानव भी करते हैं। वे साकार हैं तो निराकार भी हैं। सृष्टि का आदि और अंत उनमें ही समाया है। शिवजी के संबंध में प्रायः यह प्रश्न किया जाता है कि उनकी ही पूजा लिंग रूप में क्यों की जाती है? हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की …

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अयोध्या के राजा रघु ने किया ऐसा काम की बंजर भूमि सोना उगलने लगी

अयोध्या के राजा रघु के दरबार में एक दिन इस बात पर बहस चल पड़ी कि राजकोष का उपयोग ऐसे किस प्रयोजन के लिए किया जाए जो सर्वाधिक सार्थक हो। रघु ने अपने सभी मंत्रियों व सभासदों से इस पर बिना हिचक अपना पक्ष रखने को कहा। इस विषय में दो पक्ष सामने आए। एक का कहना था कि सैन्य …

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ये हैं प्रमुख यज्ञ, राजा दशरथ को पुत्रेष्ठि यज्ञ से मिली थी संतान

हिंदू धर्म में यज्ञ की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। धर्म ग्रंथों में मनोकामना पूर्ति व किसी बुरी घटना को टालने के लिए यज्ञ करने के कई प्रसंग मिलते हैं। रामायण व महाभारत में ऐसे अनेक राजाओं का वर्णन मिलता है, जिन्होंने अनेक महान यज्ञ किए थे। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भी यज्ञ किए जाने …

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कहती हैं पौराणिक कथाएं, यहां छिपा है गणपति का असली शीश

भगवान गणपति प्रथम पूज्य हैं। उन्हें गजानन भी कहा जाता है जिसका अर्थ है हाथी जैसे मुख वाला। गणेशजी का मुख हाथी जैसा क्यों है? इस संबंध में पौराणिक कथा आपने जरूर पढ़ी होगी। गणेशजी को हाथी का मस्तक लगाया गया लेकिन उनका पूर्व मस्तक कहां गया? इसके बारे में भी एक पौराणिक कथा में उल्लेख किया गया है। कहा …

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जब शिव के नेत्रों से टपके आंसू और बन गई ये पवित्र चीज

भगवान शिव ने जगत के उद्धार के लिए अनेक असुरों का वध किया था। शिव की तरह ही कार्तिकेयजी ने भी असुरों का संहार कर सृष्टि का कल्याण किया। एक बार उन्होंने तारकासुर का वध किया तो उसके तीन बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली देवताओं से और भी ज्यादा शत्रुता रखने लगे। जब उन असुरों का आतंक बहुत ज्यादा बढ़ …

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