admin

कहते हैं चाणक्य, इन 4 कामों से मिलता है सिर्फ कुछ देर का आनंद

हर धर्म की मान्यता है कि संसार और इसके सभी सुख क्षणभंगुर हैं। यहां कुछ भी स्थाई नहीं है। कालचक्र के सामने हर बलवान छोटा होता है। इसलिए हमारे प्राचीन ग्रंथों में परोपकार पर बहुत जोर दिया गया है, क्योंकि जीवन का अंतिम क्षण कौनसा होगा, यह कोई नहीं जानता।    आचार्य चाणक्य ने भी अपने अनुभव के आधार पर …

Read More »

यहां मिले हैं रामायण के अकाट्य प्रमाण, देखकर आप भी करेंगे राम की शक्ति को प्रणाम

रामायण भगवान श्रीराम की लीला का संग्रह मात्र नहीं है। यह कथा सिद्ध करती है कि सत्य की ध्वजा एक दिन बुलंदियां छूती है और असत्य न केवल खुद नष्ट होता है, बल्कि वे तमाम लोग भी उसके साथ नष्ट हो जाते हैं जो उसके पक्षधर थे।    सदियां बीत जाती हैं परंतु सत्य की महत्ता कभी समाप्त नहीं होती। …

Read More »

मिस्त्र का पहला व्यक्ति जिसने देवत्व को पहचाना

प्राचीन मिस्त्र के साम्राज्यवादी युग में ‘अमेनहोतेप’ चतुर्थ जिसे ‘अखातन’ भी कहा जाता है ने एटन (सूर्य) नाम से एक देवता की पूजा शुरू की थी। इस तरह मिस्त्र में एकेश्वरवादी विचारधारा को बल मिला। ‘फरोआ अखातन’ ने मिस्त्र के परम्परावादी धर्म में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। उसने सूर्य(एटन) को समूचे विश्व का एकमात्र देवता घोषित कर दिया, वह अपने भाषणों …

Read More »

ऐसे शुरू हुई नाग को दूध पिलाने की परंपरा

नागभट्ट अपने दोस्तों श्रीपाद और यशोधर्मन से कहते हैं कि, नाग जाति पर्वतवासी है। उसका प्रतीक ही फणधारी सांप है। देवपूजा में सिंदूर का जब से उपयोग हुआ, तभी से हिंदू महिलाएं अपनी मांग में सौभाग्य की कामना के लिए सिंदूर का उपयोग करते हैं। नागों का प्रिय फल नारंगी है। नाग नदियों को अपनी बहन मानते हैं। क्योंकि इनका …

Read More »

तो क्या सीता जी ही माया सीता थीं

भगवान श्रीराम की पत्नी सीता, राजा जनक की पुत्री थीं। रामायण में माता सीता का एक नाम माया (छाया सीता) उल्लेखित है। यह वास्तविक सीता का मिथ रूप है। जब रावण माता सीता का हरण कर लंका ले जाता है तब सीता जी को माया सीता के नाम से संबोधित किया गया है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार, …

Read More »