हिन्दू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्व है। शादीशुदा महिलाएं अपने उत्तम सन्तति और सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं। हरियाली तीज माता पार्वती और भगवान शिव के मिलन का दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था, इसलिए इस दिन को हरियाली तीज मनाया जाता है। इस बार हरियाली तीज 03 अगस्त को है।
माता पार्वती बनीं भगवान शिव की अर्धांगिनी
हरियाली तीज मनाने की पृष्ठभूमि में संगठित परिवार की भावना रहती है। गृहस्थ आश्रम की संगठनात्मक व्यवस्था को मजबूत करने में यह पर्व अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 जन्मों तक कठिन तप किया, फिर भी उनकी मनोकामना पूर्ण नहीं हुई। उन्होंने अपने 108वें जन्म में इसी व्रत के प्रभाव से भगवान शिव को प्रसन्न करने में सफल रहीं। भगवान शिव ने माता पार्वती के व्रत से प्रसन्न होकर उनको अपनी अर्धांगिनी बनाया।
हरियाली तीज के दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं और शाम को होने वाली पूजा के दौरान मााता पार्वती को 16 श्रृंगार की वस्तुएं तथा भगवान शिव को वस्त्र अर्पित करती हैं।
“कजरी” गाकर भगवान शिव को करते हैं प्रसन्न्
मूलतः हरियाली तीज तीन दिवसीय उत्सव होता है, किन्तु वर्तमान में समयाभाव के कारण एक दिन का ही पर्व बनकर रह गया है। लोकगीत “कजरी” गाकर भगवान शंकर को प्रसन्न करने की परंपरा है।