भगवान शिव जिन्हें आशुतोष, सांबसदाशिव, भोलेभंडारी आदि देव, महादेव के नाम से जाना जाता है. भगवान शिव की आराधना कई तरह से होती है, जहां भगवान शिव को निराकार स्वरूप में भजा जाता है. वहीं भगवान शिव की शिवलिंग स्वरूप में अर्चना की जाती है।
भगवान शिव की आराधना का यह स्वरूप मृत्युलोक में काफी प्रचलित है. वैसे पुराणों में वर्णन मिलता है कि आकाश में तारकलिंग, पताल में हाटकेश्वर और मृत्युलोक में श्री महाकालेश्वर जो कि ज्योर्तिलिंग हैं. आराधना योग्य हैं. भगवान शिव शंभू का शिवलिंग स्वरूप में पूजन और अर्चन कई तरह से किया जाता है।
ऐसे में भगवान शिव की पूजा पाषाण, पार्थिव शिवलिंग, आदि स्वरूप में भी की जाती है. ऐसे में ये बहुत शुभफलदायी होते हैं. भगवान शिव के शिवलिंग के तौर पर स्फटिक के शिवलिंग, पाषाण के शिवलिंग, पारद के शिवलिंग की पूजा भी की जाती है. पारद का शिवलिंग बेहद दुर्लभ होता है. दरअसल पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो कि तरल अवस्था में पाई जाती है, इसे एक आकार देना बेहद कठिन होता है. इस शिवलिंग की पूजा करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है|