पांडवों का अज्ञातवास समाप्त होने मे कुछ समय शेष रह गया था। पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छुपने का स्थान ढूढं रहे थे, उधर शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पडी। शनिदेव के मन मे विचार आया कि इन सब मे बुधिमान कौन है परिक्षा ली जाय। शनिदेव ने एक माया का महल बनाया कई योजन दूरी मे उस महल के चार कोने थे, पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण। अचानक भीम की नजर महल पर पडी और वो आकर्षित हो गया, भीम, यधिष्ठिर से बोला-भैया मुझे महल देखना है भाई ने कहा जाओ। भीम महल के द्वार पर पहुँचा वहाँ शनिदेव दरबान के रूप मे खड़े थे, भीम बोला – मुझे महल देखना है !
शनिदेव ने कहा-महल की कुछ शर्त है
- शर्त महल मे चार कोने आप एक ही कोना देख सकते है।
- शर्त महल मे जो देखोगे उसकी सार सहित व्याख्या करोगे।
- अगर व्याख्या नही कर सके तो कैद कर लिए जावोगे।
भीम ने कहा- मै स्वीकार करता हूँ ऐसा ही होगा और वह महल के पूर्व क्षोर की और गया। वहां जाकर उसने अधभूत पशु पक्षी और फुलों एवं फलों से लदै वृक्षो का नजारा किया, आगे जाकर देखता है कि तीन कुएं हैं, अगल-बगल मे छोटे कुएं और बीच मे एक बडा कुआं। बीच वाले बडे कुएं मे पानी का उफान आता है और दोनो छोटे खाली कुओ को पानी से भर दता है। फिर कुछ देर बाद दोनो छोटे कुओ मे उफान आता है तो खाली पडे बडे कुएं का पानी आधा रह जाता है इस क्रिया को भीम कई बार देखता है पर समझ नही पाता और लौट कर दरबान के पास आता है। दरबान -क्या देखा आपने ?
भीम- महाशय मैने पेड पौधे पशु पक्षी देखा वो मैने पहले कभी नही देखा था जो अजीब थे। एक बात समझ मे नही आई छोटे कुऐ पानी से भर जाते है बडा क्यो नही भर पाता ये समझ में नही आया। दरबान बोला आप शर्त के अनुसार बंदी हो गये है और बंदी घर मे बैठा दिया।
अर्जुन आया बोला- मुझे महल देखना है, दरबान ने शर्त बता दी और अर्जुन पश्चिम वाले क्षोर की तरफ चला गया। आगे जाकर अर्जुन क्या देखता है। एक खेत मे दो फसल उग रही थी एक तरफ बाजरे की फसल दुसरी तरफ मक्का की फसल । बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही तथा मक्का के पौधे से बाजरी निकल रही, अर्जुन को अजीब लगा कुछ समझ नही आया, वह वापिस द्वार पर आ गया।
दरबान ने पुछा क्या देखा, अर्जुन बोला महाशय सब कुछ देखा पर बाजरा और मक्का की बात समझ मे नही आई। देव ने कहा शर्त के अनुसार आप बंदी है ।
नकुल आया बोला मुझे महल देखना है, फिर वह उतर दिशा की और गया वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी सफेद गायें जब उनको भूख लगती है तो अपनी छोटी बाछियों का दुध पीती हैं, उन्हें भी कुछ समझ नही आया और वह द्वार पर लौट आये.
देव ने पुछा क्या देखा ? नकुल बोला महाशय गाय बाछियों का दुध पीती है यह समझ नही आया तब उसे भी बंदी बना लिया।
सहदेव आया बोला मुझे महल देखना है, और वह दक्षिण दिशा की और गया अंतिम कोना देखने के लिए क्या देखता है, वहां पर एक सोने की बडी शिला एक चांदी के सिक्के पर टिकी हुई डगमग डौले पर गिरे नही, छूने पर भी वैसे ही रहती है. उन्हें भी कुछ समझ नही आया वह वापिस द्वार पर आ गया और बोला सोने की शिला की बात समझ मे नही आई, तब वह भी बंदी हो गया। चारों भाई बहुत देर से नही आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई वह भी द्रोपदी सहित महल मे गये। भाईयो के लिए पूछा तब दरबान ने बताया वो शर्त अनुसार बंदी है। युधिष्ठिर बोला भीम तुमने क्या देखा? भीम ने कुऐ के बारे मे बताया तब युधिष्ठिर ने कहा-यह कलियुग मे होने वाला है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नही भर पायागें। भीम को छोड दिया गया।
अर्जुन से पुछा तुमने क्या देखा? उसने फसल के बारे मे बताया! युधिष्ठिर ने कहा – यह भी कलयुग मे होने वाला है वंश परिवर्तन अर्थात ब्राह्मण के घर बनिये की लडकी और बनिये के घर शुद्र की लडकी ब्याही जायेगी। तब अर्जुन भी छूट गया।
नकुल से पूछा तुमने क्या देखा? तब उसने गाय का वृतांत बताया! तब युधिष्ठिर ने कहा – कलयुग मे माताऐं अपनी बेटियों के घर मे पलेगी बेटी का दाना खायेगी और बेटे सेवा नही करेंगे। तब नकुल भी छूट गया।
सहदेव से पूछा तुमने क्या देखा? उसने सोने की शिला का वृतांत बताया! तब युधिष्ठिर बोले – कलयुग मे पाप धर्म को दबाता रहेगा परन्तु धर्म फिर भी जिदां रहेगा, खत्म नही होगा। तब सहदेव भी छूट गया।
इस प्रकार एक – एक करके चारो भाइयों को युधिष्ठिर ने छुड़वा लिया। और देखिये आज के कलयुग मे यह सारी बाते किसी न किसी रूप में सच साबित हो रही है।