भगवान श्री शनि देव की महिमा अपरंपार है। आज भी भगवान शनि देव के प्रति श्रद्धालुओं में इतनी आस्था है कि शनि देव के प्रमुख धाम शिंगणापुर में पूरे गांवों में न तो ताले लगाए जाते हैं और न ही घरों में दरवाजे हैं। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि यहां पर चोरी करने वालों को शनि देव स्वयं दंड देते हैं। दरअसल श्री शनिदेव न्याय के अधिपति कहलाते हैं। भगवान शनि देव इस क्षेत्र के अधिपति कहते हैं। शिंगणापुर गांव में करीब 3 हजार की जनसंख्या है। इस गांव में रहने वाले लोग धनवान हैं।
वे अपने घरों में ताला नहीं लगाते हैं। इन लोगों को अपने घरों से कीमती सामान चोरी होने का किसी तरह का कोई डर नहीं है। भगवान शनि देव की प्रतिमा के पास जाने के लिए पुरूषों का स्नान कर पीतांबर धोती धारण करना और मंदिर में प्रवेश करने से पहले स्नान करना बेहद अनिवार्य है। वैसे यहां महिलाओं को भी शिला के बिल्कुल पास नहीं जाने दिया जाता है। भगवान शनि देव एक शिला स्वरूप में विराजमान हैं। भगवान शनि से अच्छे कोई देवता नहीं हैं।
भगवान की आराधना से धन धान्य से संपन्नता मिलती है। माना जाता है कि भगवान की यह शिला स्वयंभू है जो कि एक व्यक्ति को मिली थी। इस व्यक्ति को भगवान ने स्वप्न में दर्शन दिए थे। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए आमावस्या का दिन बेहद अच्छा माना जाता है। भगवान शनि देव का पूजन अमावस्या और शनि जयंती पर विशेषतौर पर किया जाता है।