सावन का महीना चल रहा है और आज दूसरा सोमवार है जिसमें सभी भक्त शिवजी का अभिषेक करते हैं और सोमवार को खास पूजन किया जाता है. कहा जाता है सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत करने से खास लाभ मिलते हैं जिसके चलते भक्त उनकी सेवा करते हैं और उनकी आराधना करते हैं. माना जाता है इस महीने में सारे देव शयन पर जाते हैं और भगवान शिव ही इस समय सृष्टि की देखभाल करते हैं. इस महीने में कांवड़ का भी बहुत महत्व है जिसके बारे में हम बता रहे हैं.
श्रावण के महीने में भगवान शिव धरती पर आते हैं और कांवड़ियों के साथ उनकी धुन में रमते हैं. शिवजी के भक्त केसरिया वस्त्र पहनकर कंधे पर कांवड़ रखकर झूमते हुए जाते हैं साथ ही कई किलोमीटर की यात्रा पैदल और नंगे पैर ही करते हैं. कांवड़ ले जाने के काफी सख्त नियम होते हैं जिन्हें हर कोई नहीं निभा पाता लेकिन कई लोग इन सब की परवाह किये बिना ही भगवान शिव की भक्ति में रमते हैं.
मान्यता है कि कांवड़ियों के साथ भगवान शिव भी चलते हैं और उनकी मनोकामना पूरी करते हैं. कांवड़ यात्रा शुरू करते ही कांवड़ियों के लिए ये नियम लागू हो जाते हैं जिसमें उन्हें किसी भी प्रकार का नशा नहीं कर सकते. बिना स्नान किए कांवड़ को हाथ नहीं लगा सकते, चमड़े की किसी चीज़ को छू नहीं सकते और आम जीवन से कुछ और जीवन ही जीना होता है. इस यात्रा में तेल, साबुन, कंघी का प्रयोग भी नहीं किया जाता है.