सोमवार को श्रावण मास का अंतिम सोमवार रहेगा। ऐसे में श्रद्धालु शिव मंदिरों में दर्शनों के लिए उमड़ेंगे। यही नहीं श्रद्धालु जल, दूध, दहि, शहद, शकर युक्त पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा। श्रावण मास के अंतिम सोमवार में श्रद्धालु बारह ज्योर्तिलिंग में से एक श्री महाकालेश्वर मंदिर में उमड़ेंगे। ऐसे में यहां होने वाली भस्मारती में श्रद्धालु पुण्यलाभ लेंगे। यही नहीं बारह ज्योर्तिलिंगों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा। कावडि़ए बड़े पैमाने पर दर्शनों के लिए जुटेंगे और ज्योर्तिलिंगों पर जल अर्पित कर पुण्य कमाऐंगे। बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं द्वारा श्रावण मास में व्रत रखा जाता है।
व्रत के माध्यम से श्रद्धालु भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। मान्यता है कि शिव अपने श्रद्धालुओं की भवनाओं से ही प्रसन्न हो जाते हैं श्रद्धालुओं द्वारा भगवान को प्रसन्न करने के लिए तरह तरह के जतन किए जाते हैं। माना जाता है कि शिव श्रद्धा से अर्पित किए गए जल, बिल्व पत्र और धतूरे से भी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान श्री शिव की नगरी के तौर पर उज्जैन को जाना जाता है। इस नगरी में श्रावण और भाद्रपद मास में बाबा श्री महाकालेश्वर की पालकी निकाले जाने की परंपरा है। सिंधिया रियासतकाल से लेकर आज तक यह परंपरा जारी है।
इस दौरान श्री महाकालेश्वर के विभिन्न मुघौटों को चांदी की पालकी में विराजित कर नगर भ्रमण पर निकाला जाता है। जब बाबा श्री महाकालेश्वर की सवारी शिप्रा तट पर पहुंचती है तो श्रद्धालु बाबा श्री महाकालेश्वर का पूजन और अभिषेक देखने के लिए देर तक इंतज़ार करते रहते हैं। श्री महाकालेश्वर की सवारी का आकर्षण बहुत ही अद्भुत होता है। 4 थी सवारी में श्री महाकालेश्वर शिव तांडव स्वरूप में श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं।
इसके पूर्व बाबा श्री महाकालेश्वर श्रावण मास के पहले सोमवार को मनमहेश स्वरूप में पालकी में विराजित होते हैं। फिर वे चंद्रमौलेश्वर और उमा महेश स्वरूप में दर्शन देते हैं। बाबा की सवारी को निहारने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु सवारी मार्ग पर मौजूद रहते हैं।