भोले भंडारी का प्रिय महीना सावन शुरू हो चुका है। जो 15 अगस्त तक चलेगा। आखिर शिव में ऐसा क्या है, जो उत्तर में कैलाश से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम् तक वे एक ही रूप में पूजे जाते हैं। शिवजी कैलाश में भी रह लेते हैं और शमशान में भी। उन्हें पंचमेवा भी भाता है और विषधारी कांटेदार धतुरा भी। शिवजी को किसी से मोह नहीं और हर माया के बंधन से मुक्त, फिर भी जल्द प्रसन्न होने वाले देव हैं। भोले भंडारी खुशी में उत्सव प्रिय देवता है और श्मशान में उत्सव मनाने वाले वे अकेले देवता है। सभी देवों में वे एकमात्र महादेव हैं। वे आदि हैं और अंत भी। आइए जानते हैं सावन के महीने में भोले भंडारी को कौन सी चीजें नहीं अर्पित करनी चाहिए।
भगवान शिव की पूजा में कभी भी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ना चाहिए।
शिवजी की पूजा में नारियल नहीं अर्पित करना चाहिए। नारियल का संबंध देवी लक्ष्मी से होता है और देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी है।
शिवलिंग की पूजा में कभी भी कुमकुम को शामिल नहीं करना चाहिए। कुमकुम सुहाग की निशानी है।
कुमकुम की तरह ही शिव की पूजा में हल्दी चढ़ाना वर्जित माना गया है। हल्दी का संबंध सौंर्दय से होता है शिव बैराग को धारण करते हैं। शिव पूजा में चंदन का इस्तेमाल शुभ माना गया है।
शिवजी को केतकी का सफेद फूल अप्रिय होता है इसलिए भूलकर भी पूजा में इस फूल का इस्तेमाल ना करें। केतकी के फूल को झूठ बोलने की वजह से शाप मिला है।
शिवलिंग की पूजा में कभी भी अक्षत यानी चावल से पूजा नहीं करनी चाहिए।
शिवलिंग की परिक्रमा पूरी नहीं करनी चाहिए बल्कि आधी ही करनी चाहिए।