आप सभी को बता दें कि अमरनाथ यात्रा आज से शुरू हो चुकी है. ऐसे में पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में मां पार्वती को अमर कथा सुनाई थी. कहते हैं इस गुफा में एक हैरान करने वाली बात है जो यह है कि गुफा में शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है जबकि नीचे फैला बर्फ कच्चा होता है. जी हाँ, कहा जाता है यहां पर भगवान शिव साक्षात विराजते हैं और इसी के साथ ही यहां पर देवी का एक शक्तिपीठ भी है. वहीं 51 शक्तिपीठों में से महामाया शक्तिपीठ इसी गुफा में स्थित है क्योंकि यहां देवी सती का कंठ गिरा था.
आप सभी को बता दें कि अमरनाथ में भगवान शिव के अद्भुत हिमलिंग दर्शन के साथ ही माता सती का शक्तिपीठ होना एक दुर्लभ संयोग है और ऐसा संयोग कहीं और देखने को नहीं मिल सकता है. कहा जाता है इस गुफा में केवल शिवलिंग ही नहीं बल्कि माता पार्वती और गणेश के रूप में दो अन्य हिम लिंग भी बनते हैं और ऐसी मान्यता है कि इस दर्शन के पुण्य से मनुष्य मुक्ति का अधिकारी बन जाता है. वहीं आप जानते होंगे कि अमरनाथ धाम की यात्रा आषाढ़ मास से आरंभ होती है और रक्षाबंधन तक यानी श्रावण पूर्णिमा तक चलती है. दर्शनाथी कहते हैं जिस प्रकार चंद्रमा का आकार घटता बढ़ता रहता है, उसी प्रकार शिवलिंग का आकार भी घटता बढ़ता रहता है.
वहीं अमरनाथ की इस पवित्र गुफा की खोज एक मुस्लिम गड़रिए ने की थी और उसका नाम बूटा मलिक था इसी कारण से आज भी इसके वंशजों को दान में चढ़ाई गई राशि का एक हिस्सा दिया जाता है. इसकी एक कथा भी प्रचलित है जो कुछ ऐसी है कि जब भगवान शिव माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुना रहे थे, तब वहां पर एक शुक अर्थात तोता और दो कबूतर का जोड़ा भी इसको सुन रहे थे. शुक बाद में ऋषि शुकदेव के नाम से प्रसिद्ध हो गए. जबकि आज भी कबूतर का जोड़ा कभी-कभी यहां देखने को मिल जाता जो शिव पार्वती के रूप में मान्य है.