शनिदेव के प्रकोप से बचना है तो ना करें ऐसे काम

download (54)शनि क्रूर देव नहीं हैं? हम गलत करेंगे, तो वे हमें दंड देंगे, लेकिन यदि हमसे अंजाने में गलती हुई है और बाद में इसका पछतावा करेंगे, तो वे हमें माफ भी कर देंगे।

हम गलती करें ही नहीं, तो उनसे डरने की क्या आवश्यकता है। आखिर वे सूर्य पुत्र हैं, क्या उन्हें थोड़ा सा सरसों के तेल और कुछ सिक्कों से हम उन्हें लुभा सकते हैं।

जिस तरह पुलिस को देखकर चोर डर जाता है उसी तरह गलत काम करने वाले शनि से भयभीत होते हैं। दरअसल, शनि न्याय के देवता हैं और वे गलत काम करने वालों को ही दंड देते हैं। फिर उनसे डरने की बजाय क्यों न हम गलत कामों से प्रायश्चित कर अभय प्राप्त कर लें।

शनि का स्मरण आते ही हमारे दिमाग में जो बिंब उभरता है, वह एक ऐसे देव का है, जिनका रंग काला है, जिनके एक हाथ में तीर और दूसरे में धनुष है। जिनकी सवारी विशाल गिद्ध या विशाल कौआ है।

imagesकुल मिलाकर शनि की जो तस्वीर बनाई गई है, वह हमारे दिमाग में खौफ पैदा कर देती है। ऐसा ही खौफ यमराज के स्मरण से पैदा होता है। वैसे भी शनि को यमराज का बड़ा भाई बताया गया है।

काला रंग, गिद्ध की सवारी और फिर यमराज का भाई जैसी काल्पनिक कथाओं ने हमारी आदिम चेतना, जो आरंभ से ही अंधकार के कालेपन से सबसे अधिक भयभीत रहती थी, को शनि के प्रति पूर्वाग्रही बना दिया है।

ज्योतिषीय दृष्टि से भी देखें तो शनि यदि कहीं हानि पहुंचाते हैं, तो कहीं लाभ भी देते हैं। लेकिन हमारा दिमाग शनि से कुछ इतना ज्यादा खौफजदा है कि हम शनि के नाम पर व्यापार करने वालों का ही भला करते हैं।

पौराणिक ग्रंथों की मानें तो शनि सूर्य के पुत्र हैं और वे न्याय के देवता हैं। हम जो भी अच्छा या बुरा करते हैं, उसे शनि अपने न्याय के तराजू में तौलकर उसका परिणाम हमें उसी तरह लौटा देते हैं। वे अपने न्याय में सही का साथ देते हैं। यहां शनि काला कोट पहने हुए एक तटस्थ न्यायाधीश की तरह होते हैं।

न किसी के दोस्त और न ही दुश्मन। इस प्रकार शनि ब्रह्मंड में प्रकृति के कर्म के इस सिद्धांत को कार्यरूप देता है कि ‘जो जैसा करेगा, वह वैसा ही भरेगा।’

imagesअब एक आखिरी बात। जो न्यायी होगा, उसे गलत काम करने वालों के प्रति क्रूर होना ही पड़ता है। उन्होंने तो अपने पिता सूर्य तक को नहीं छोड़ा। पौराणिक कथा के अनुसार, शनि जब गर्भ में थे, तब उनकी माता छाया ने शिव की कड़ी तपस्या में खाना-पीना छोड़ दिया था। इसका दुष्प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ा, जिससे शनि का रंग काला हो गया।

पुत्र के जन्म के बाद सूर्य ने छाया पर आरोप लगाया कि ‘यह मेरा पुत्र जान नहीं पड़ता।’ इस गलत आरोप को शनि बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने जैसे ही अपने पिता को गुस्से से देखा, सूर्य का रंग काला पड़ गया। सूर्य के माफी मांगने पर उनका रंग लौट आया।

जाहिर है कि ऐसे में गलत काम करने वालों और सोचने वालों को शनि से डरना ही चाहिए। शनि से ही क्यों, उन्हें तो प्रत्येक से डरना चाहिए। मुश्किल यह कि चूंकि सही काम करने वालों की संख्या बहुत कम है, इसलिए शनि से डरने वालों की संख्या ज्यादा दिखाई देती है।

 

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पूर्ण-अवतार श्रीकृष्ण

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