पुराणों में कहा गया है कि बजरंगबली की उपासना करने वाला भक्त कभी पराजित नहीं होता। हनुमानजी का जन्म सूर्योदय के समय बताया गया है इसलिए इसी काल में उनकी पूजा-अर्चना और आरती का विधान है।
हनुमान जयंती के दिन प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद पूजा करनी चाहिए। पूजा में ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हनुमानजी की पूजा में चन्दन, केसरी, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी रखने की परंपरा है।
हनुमानजी की उपासना व चोला चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है वहीं जिन लोगों को शनिदेव की पीड़ा हो उन्हें बजरंग बली को तेल-सिंदूर का चोला अवश्य चढ़ाना चाहिए। हनुमानजी अपने भक्तों की सच्चे मन से की गई हर तरह की मनोकामना पूरी करते हैं और अनिष्ट करने वाली शक्तियों को परे रखते हैं।
इस दिन हनुमत आराधना का विशेष महत्व होता है। इस दिन जातक को शनि की ढैय्या और साढ़े साती से बचने के लिए हनुमानजी की उपासना करनी चाहिये।मंगल दोष निवारण के लिए भी हनुमत उपासना श्रेष्ठ सिद्ध बताई गई है।