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नवग्रहों में सूर्य सर्वप्रमुख देवता हैं। इनका वर्ण लाल है। वैदिक काल से सूर्योपासना चली आ रही है। सूर्यदेव का एक नाम सविता भी है। जिसका अर्थ है सृष्टि करने वाला। इन्हीं से जगत उत्पन्न हुआ है। सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए नित्य अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। वास्तु शास्त्र में माना जाता है कि जिन घरों में सूर्य का प्रकाश ठीक से नहीं पहुंच पाता है वहां वास्तु दोष हो सकता है। ऐसे घरों में भगवान सूर्यदेव की तांबे की प्रतिमा लगानी चाहिए।
सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक रविवार को व्रत रखें। भगवान विष्णु की उपासना करें। मान्यता है कि घर की उत्तर दिशा में तांबे की सूर्य प्रतिमा लगाने से घर में कभी पैसों की कमी नहीं रहती है। बच्चों के कमरे में सूर्यदेव की प्रतिमा लगाने से बच्चे कुशाग्र बुद्धि हो जाते हैं। घर में अगर बीमारियों का डेरा है तो ऐसे कमरे में सूर्य प्रतिमा लगानी चाहिए, जहां घर के सभी सदस्य ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत करते हों। यह भी मान्यता है कि रसोईघर में तांबे की सूर्य प्रतिमा लगाने से कभी अन्न की कमी नहीं रहती है। घर के मुखिया के बेडरूम में सूर्य प्रतिमा लगाने से परिवार में किसी तरह की परेशानी नहीं आती। व्यापार में नुकसान हो रहा हो तो ऑफिस या दुकान में सूर्य प्रतिमा लगाएं। घर के मंदिर में तांबे की सूर्य प्रतिमा लगाने से घर-परिवार पर सूर्यदेव की कृपा सदैव बनी रहती है।