जब नई बहू घर आए तो उसके साथ ऐसा व्यवहार होना चाहिए कि उसका मन कम समय में ही पति के परिवार को अपना मान ले। श्रीमद् भागवत के एक प्रसंग से हम ये बात समझ सकते हैं कि नई बहु के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया और उसके भाई रुक्मी को आधा गंजा करके आधी मूंछ काट दी, भाई की ऐसी दशा से वह दुखी थी, नई बहु राज महल पहुंची तो बलराम ने उसे कही एक बात, जिससे रुक्मिणी का दुख दूर हुआ
# भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया तो रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने उनका पीछा किया और श्रीकृष्ण को युद्ध के लिए आमंत्रित किया। श्रीकृष्ण ने रुक्मी से घमासान युद्ध किया और उसे पराजित कर दिया।
# जब भगवान रुक्मी को मारने लगे तब रुक्मिणी ने उन्हें रोक दिया और अपने भाई की जान बचा ली। फिर भी श्रीकृष्ण ने उसे आधा गंजा करके और आधी मूंछ काटकर कुरूप कर दिया।
# रुक्मिणी इस पर कुछ नहीं बोली, लेकिन वो उदास हो गई। जब रुक्मिणी श्रीकृष्ण के साथ उनके राज महल में पहुंची तो बलराम ने रुक्मिणी के मन के भाव समझ लिए।
# बलराम ने श्रीकृष्ण को समझाया कि रुक्मी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना था। वो तुम्हारी पत्नी का भाई है, रिश्तेदार है।
# बलराम ने रुक्मिणी से हाथ जोड़कर माफी मांगी। उन्होंने रुक्मिणी से कहा कि तुम्हारा भाई हमारे लिए आदरणीय है और श्रीकृष्ण द्वारा किए गए व्यवहार के लिए मैं क्षमा मांगता हूं। तुम उस बात के लिए अपना दुखी मत होना। ये परिवार अब तुम्हारा भी है, इसे पराया मत समझना। तुम्हारे भाई के साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए मैं तुमसे माफी मांगता हूं।
# इस बात से रुक्मिणी का दुख दूर हो गया। जल्दी ही रुक्मिणी यदुवंश में घुल-मिल कर रहने लगी और उसी परिवार को अपना सबकुछ मान लिया। नई बहू को जिम्मेदारी दें, लेकिन उनसे सिर्फ अपेक्षाएं ही न रखी जाएं, उन्हें आदर-सम्मान और अपनापन भी दिया जाना चाहिए।
# नई बहू के आते ही अपने घर के अनुशासन में भी थोड़ा बदलाव करना चाहिए, जिससे कि वह अपने आप को नए माहौल में ढाल सके।