हिंदू ग्रंथों और पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि का निर्माता, पालनकर्ता और संहारक माना जाता हैं। लेकिन आप के मन में ये सवाल कई बार आता होगा कि विष्णु और महेश (शिव जी) के तो दुनियाभर में कई मंदिर हैं और लोग घर में भी इनकी स्थापना कर इनकी पूजा करते हैं। लेकिन ब्रह्मा की पूजा कभी नहीं की जाती। और उनका केवल एक ही मंदिर है, जो पुष्कर में है। इसका एक प्रसंग ब्रम्हा जी और सरस्वती के विवाह से जुड़ा हुआ है। इस प्रसंग का उल्लेख सरस्वती पुराण में किया गया है।
प्रसंग के अनुसार
- क्या है प्रसंग?प्रसंग के अनुसार सरस्वती जी ब्रह्मा जी की बेटी थीं। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती जी को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इसीलिए यह कहा जाता है कि सरस्वती जी की कोई मां नहीं थी। सरस्वती जी को विद्या की देवी कहा जाता है। प्रसंग के अनुसार सरस्वती मरता बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक थीं इस कारण स्वयं ब्रम्हा जी भी उनकी ओर आकर्षित हो गए और उनके मन में सरस्वती माता से विवाह करने का विचार आ गया।
- सरस्वती जी जान गई थीं ब्रम्हा जी की इच्छासरस्वती माता ब्रम्हा जी की इच्छा को जान गई थीं। वो अपने पिता से विवाह नहीं करना चाहती थीं। वह ब्रम्हा जी की नजरों से बचने का प्रयास करने लगीं। लेकिन उनके ये सभी प्रयास असफल रहे। अंत में सरस्वती जी को ब्रह्मा से विवाह करना पड़ा। ऐसा माना जाता है कि इसकी देवलोक में बहुत आलोचना हुई और यही कारण है कि ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती।
- 100 सालों तक किया जंगलों में निवाससरस्वती पुराण में कहा गया है कि ब्रम्हा और सरस्वती ने 100 साल तक जंगल में पति-पत्नी के रूप में बिताया। इस दौरान ब्रम्हा और सरस्वती में प्रेम बना रहा। इन दोनों का एक पुत्र भी हुआ। इस पुत्र को स्वयंभू मनु के नाम से जाना गया। बता दें कि ब्रम्हा और सरस्वती के विवाह को लेकर कुछ और भी प्रसंग प्रचलित हैं। लोग अन्य प्रसंगों को भी कहते-सुनते रहते हैं। साथ ही अलग-अलग प्रसंगों की सत्यता को लेकर अलग-अलग दावे भी हैं।