भगवान शिव की साकार रूप में पूजा लिंग स्वरुप में सबसे ज्यादा होती है. जहाँ इस लिंग रूप में भगवान ज्योति के रूप में विद्यमान रहते हैं उसको ज्योतिर्लिंग कहते हैं. कुल मिलाकर भगवान शिव के द्वादश (बारह) ज्योतिर्लिंग हैं- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुश्मेश्वर. भगवान के अन्य लिंगों की पूजा की तुलना में ज्योतिर्लिंगों की पूजा करना अधिक उत्तम होता है. अगर नित्य प्रातः केवल इन शिवलिंगों के नाम का स्मरण किया जाय तो माना जाता है कि इससे सात जन्मों के पाप तक धुल जाते हैं. अगर आप इन शिवलिंगों के दर्शन नहीं कर पाते तो इनकी प्रतिकृति ( चित्र) लगाकर पूजा करने से भी आपको अपार लाभ हो सकता है.
घर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों के चित्र लगाने के नियम क्या हैं?
– चित्र को पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर लगायें
– एक साथ सभी ज्योतिलिंगों के चित्र न लगायें
– अपनी राशी के अनुसार अगर आप ज्योतिर्लिंग का चित्र लगाते हैं तो ज्यादा बेहतर होगा
– आप ये चित्र सावन महीने में किसी भी दिन अन्यथा सोमवार, पूर्णिमा,या शिवरात्री को लगा सकते हैं
– जहाँ पर इस ज्योतिर्लिंग का चित्र लगायें बेहतर होगा कि वहां पर कोई और चित्र या देवी देवता की स्थापना न करें
किस प्रकार ज्योतिर्लिंगों के समक्ष पूजा उपासना की जायेगी?
– ज्योतिर्लिंग के समक्ष एक बड़ा पात्र रख लें
– सबसे पहले भगवान शिव का ध्यान करके उसी पात्र में बेलपत्र,फल,धूप आदि अर्पित करें
– फिर भगवान शिव का नाम जपते हुए उसी पात्र में दोनों हाथों से जल डालें
– इसके बाद भगवान शिव के किसी मंत्र की कम से कम ३ या अधिक से अधिक ११ माला का जाप करें
– जप के पश्चात भगवान शिव का ध्यान करें
– सबसे अंत में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का नाम लें और तब क्षमा प्रार्थना करें
विशेष प्रयोजनों के लिए किस ज्योतिर्लिंग के चित्र की स्थापना करें?
– बीमारी से मुक्ति पाने के लिए – श्री वैद्यनाथ
– शाप से मुक्ति पाने के लिए – श्री सोमनाथ
– आयु रक्षा और स्वास्थ्य के लिए – श्री महाकाल
– मुकदमों,प्रतियोगिता और शत्रु विजय के लिए – श्री रामेश्वरम
– हर प्रकार की ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति के लिए – श्री विश्वनाथ
राशि अनुसार किस ज्योतिर्लिंग का चित्र लगाना और पूजा करना उत्तम होगा?
मेष- श्री रामेश्वरम का चित्र
वृष- श्री सोमनाथ का चित्र
मिथुन- श्री त्रयम्बकेश्वर का चित्र
कर्क- श्री महाकाल का चित्र
सिंह- श्री मल्लिकार्जुन का चित्र
कन्या- श्री ओंकारेश्वर का चित्र
तुला- श्री नागेश्वर का चित्र
वृश्चिक- श्री केदारनाथ का चित्र
धनु- श्री घुश्मेश्वर का चित्र
मकर- श्री भीमाशंकर का चित्र
कुम्भ- श्री विश्वनाथ का चित्र
मीन- श्री वैद्यनाथ का चित्र