आप सभी को बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होने वाली गोवर्धन पूजा का खास महत्व माना जाता है वहीं कहते हैं गोवर्धन पूजा बहुत मुख्य होती है. ऐसे में गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन ही की जाती है और कहा जा रहा है कि इस बार ये पूजा 8 नवंबर के दिन की जाएगी यानी दिवाली के अगले दिन. आप सभी को बता दें कि कई लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं. अन्नकूट शब्द का अर्थ होता है अन्न का समूह. ऐसे में विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित करने के कारण ही इस उत्सव या पर्व का नाम अन्नकूट पड़ा है.
कहा जाता है इस दिन अनेक प्रकार के पकवान, मिठाई से भगवान को भोग लगाया जाना आवश्यक है इसी के साथ अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई थी. इसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते है. उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है. आइए जानते हैं इस दिन क्या करना चाहिए. -कहा जाता है इस दिन सुबह 5 बजे ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए और शरीर पर तेल मलकर स्नान कर लेना चाहिए और उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेने चाहिए और अपने इष्ट का ध्यान कर लें.
उसके बाद अपने निवास स्थान या देवस्थान के मुख्य द्वार के सामने सुबह ही गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं और फिर उसे वृक्ष, वृक्ष की शाखा एवं पुष्प इत्यादि से श्रृंगारित कर दें. इसके बाद गोवर्धन पर्वत का अक्षत, पुष्प आदि से विधिवत पूजन कर लें और उनसे अपनी मनोकामना कह दें जो जल्द पूरी हो जाएगी.