इसके पीछे की कहानी बताई जाती है कि संवत 1600 में यहां के शासक मधुकर शाह थे जो कृष्ण भक्त थे और उनकी रानी राम भक्त थी। एक बार राजा ने रानी को कृष्ण उपासना के लिए वृंदावन चलने को कहा लेकिन रानी को राम की पूजा करनी थी। इस बात से राजा नाराज हो गये और उन्होंने कहा कि अगर तुम श्रीराम की इतनी ही बड़ी भक्त हो तो तुम उन्हें ओरछा में विराजमान करो।
रानी ने अयोध्या जाकर तपस्या शुरू की, लेकिन लंबे अर्से तक तप करने के बाद भी रानी को राम के दर्शन नहीं हुए। वह निराश होकर सरयू नदी में कूद गई। जल की गहराई के भीतर ही रानी को भगवान राम के दर्शन हो गए और रानी को बचा लिया। इसके बाद भगवान राम रानी के साथ उनके महल में विराजमान होने के लिए चल दिए और तब से रोजाना भगवान राम इस महल में आते हैं।