राम नवमी को दुनिया भर में पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। वैष्णव समुदाय में खासतौर पर इसका उत्साह देखने को मिलता है। देशभर में लोग इसे अपने तरीके से मनाते हैं। चैत्र मास की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि मनाई जाती है। नौ दिन के चैत्र नवरात्रि उत्सव का अंतिम दिन राम नवमी है। रामनवमी का त्यौहार चैत्र शुक्ल की नवमी को मनाया जाता है। इसे राम जन्म की खुशी में मनाते हैं।
राम नवमी पर उपवास रखने की परंपरा भी है इसलिए इस दिन कई भक्त व्रत रखकर भगवान को अपनी श्रद्धा अर्पण करते हैं। भक्तगण रामायण का पाठ करते हैं। भक्त रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं और कई जगह भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है। भगवान के आगमन की खुशी मनाते हुए इस मौके पर मंदिरों में खूब सजावट भी होती है। साथ ही राम की मूर्ति को भी सजाया जाता है। वहीं इस दिन भक्त राम जी को पालने में भी झुलाते हैं।
इन चीजों से करें राम जी का पूजन
पूजाघर में रामजी की तस्वीर या मूर्ति रखें। साथ ही इसके लिए रामजी के लिए वस्त्र या दुपट्टा लाएं। राम नाम की किताब भी पूजा घर में रखें। कलश में साधारण पानी या गंगा जल भरकर रखें। ताजी और धुली हुई आम की पत्तियां, तुलसी पत्ते, कमल के फूल, ताजा हरी घास, चंदन, एक नारियल, रोली, मोली, चावल, सुपारी, पान के पत्ते, लौंग, इलायची, कुमकुम ( सिंदूर ), गुलाल, अगरबत्ती, दीप-धूप और माचिस, पेड़ा या लड्डू (ताजी मिठाई प्रसाद के लिए) और एक आसन (बैठने के लिए चादर, दरी या चटाई) के लिए चाहिए होगा।
राम नवमी 2018 पूजा विधि
प्राचीनकाल से रामनवमी का व्रत महिलाओं द्वारा किया जाता है। रामनवमी के दिन महिला को प्रातः काल सुबह उठना चाहिए, घर की साफ़-सफाई से घर को शुद्ध करना चाहिए। तत्पश्चात राम नवमी की पूजा करने के लिए स्नान-ध्यान से पवित्र होकर प्रभु राम की पूजा करनी चाहिए। श्री राम के लिए अखंड ज्योत जलाएं, धूप-दीप को देवताओं के बाएं तरफ और अगरबत्ती को दाएं तरफ रखें।
पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए। साथ ही कलश और नारियल भी पूजाघर में रखें। खीर और फल-फूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें। सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाए, आसन बिछाकर कमर सीधी कर भगवान के आगे बैठें। घंटी और शंखनाद करें। राम पूजन शुरू करने से पहले रामजी का आह्वान और आरती करें इसके बाद पुष्पांजलि अर्पित करके क्षमा प्रार्थना करें।
उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें। रामनवमी की व्रत कथा सुनें और घर के प्रांगण में तुलसी मंडप के समक्ष ध्वजा, पताका, तोरण आदि स्थापित करें। प्रभु राम की पूजा शुद्ध मन एवं विधि पूर्वक सम्पन्न करने से व्रती को समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
कृतेनानेन पूजनेन श्री सीतारामाय समर्पयामि।
नारद पुराण के अनुसार राम नवमी के दिन सभी भक्तों को उपवास करने का सुझाव दिया गया है। भगवान राम की पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। उसके बाद उन्हें गाय, जमीन, कपड़े और दक्षिणा देकर दोनों हाथ जोड़कर विदा करना चाहिए। इसके बाद ही राम की पूजा का समापन होता है।