जानिए कैसे बाली ने रामायण में हुए वार का बदला महाभारत में लिया

ग्रंथों में ऐसा कहा गया है कि आपके पिछले जन्म का फल आपको इस जन्म में मिलता है. यह कथन सौ प्रतिशत सच है ऐसा सिर्फ मनुष्यों के साथ ही नहीं होता है. इस दोष से स्वयं भगवन को भी गुजरना पड़ता है. रामायण में सीता माता को ढूंढ़ते समय श्रीराम भगवान ने वानरराज सुग्रीव की मदद की थी उसके बारे में तो सब जानते है पर इस मदद में उन्होंने छुपकर किसी पर वार करके उसकी जान ले ली थी और इसका बहुत बड़ा दूष्परिणाम उन्हें अपने दूसरे अवतार में भुगतना पड़ा था. आइये जानते है इस पूरी कहानी को 

वानरराज बालि में एक ऐसी शक्ति थी कि वह जिससे भी लड़ते थे, उसकी आधी शक्ति अपने में समा लेते थे.बालि ने अपने बल का दुरूपयोग कर अपने भाई सुग्रीव की पत्नी को हथियाकर उसको बलपुर्वक अपने राज्य से बाहर निकाल दिया था. जिसके बाद हनुमानजी ने सुग्रीव को प्रभु श्रीराम से मिलावाया. सुग्रीव ने अपनी पीड़ा श्रीराम को बताई और जब बालि और सुग्रीम में मल्ल युद्ध चल रहा था तब श्रीराम ने बलि को छुपकर तीर से वार करके मार दिया.

क्योंकि भगवान श्रीराम ने कोई अपराध नहीं किया था लेकिन फिर भी बालि के मन में यह चुभ रहा था कि उन्होंने मुझे छुपकर मारा. और जब प्रभु श्रीराम ने कृष्ण अवतार लिया तब इसी बालि ने जरा नामक बहेलिया के रूप में नया जन्म लेकर प्रभाव क्षेत्र में विषयुक्त तीर से श्रीकृष्ण को हिरण समझकर तब मारा जब वे एक पेड़ के नीचे योगनिद्रा में विश्राम कर रहे थे. इस प्रकार बालि ने रामायण में हुए अपने पर वार का बदला उन्होंने महाभारत में जाकर लिया था. 

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