भगवान श्रीराम का नाम सुनते ही मन में भक्ति की लहार जाग्रता हो जाती है. श्री राम के जीवन से जुडी हर कथा शिक्षा से परिपूर्ण है.श्री राम के जीवन से जुड़े स्थान उनके जीवन के विभिन्न अध्याय को समेटे हुए स्थित है.
इन सब घटनाओ और कहानियों के बिच एक सवाल श्रीराम की मृत्यु एवं उनके देह त्यागने से जुड़ा है.जो बेहद महत्वपूर्ण है. कहा जाता है की महावीर हनुमान की सहायता से श्रीराम के देह त्यागने की घटना को रोका जा सकता था किन्तु भगवान श्री राम ऐसा नहीं चाहते थे.
हनुमान को भेजा श्री राम ने
कहते है भगवान श्रीराम ने हनुमान को एक ऐसी चीज लाने के लिए कहा था जिसे ढूंढने काफी वक्त लगा था. इस दरमियान श्रीराम ने अपना देह त्याग दिया था. श्रीराम को जब इस बात का एहसास हुआ की पृथ्वी पर उनका जन्म जिस मकसद से हुआ है वह पूरा हो गया है तो उन्होंने विदा लेने का मन बना लिया था.
यमराज ने मांगी श्री राम से सहायता
जब भगवान श्रीराम ने देह त्यागने का मन बना लिया था तो उस समय हनुमान अयोध्या नगरी में ही उपस्थित थे.इस बात से बहुत काम व्यक्ति अवगत है की जहा महावीर हनुमानजी का वास होता है उस स्थान पर यमराज प्रवेश नहीं कर सकते थे. इस दुविधा को लेकर यमराज ने भगवान श्रीराम को बताया.
हनुमान को सोप दिया एक काम
श्रीराम ने यमराज की दुविधा सुनकर एक उक्ति बनाई. श्रीराम ने अंगूठी को अपने महल के फर्श में के एक छिद्र में गिरा दिया था. जिसे तलाशने का काम श्री राम ने हनुमानजी को सौपा. इस तरह हनुमान श्रीराम की अंगूठी ढूंढने लग गए और यमराज की दुविधा का समाधान निकल गया.
इस तरह पहुंचे नागलोक
जिस छिद्र में श्रीराम की अंगूठी गिरी थी उस छिद्र में हनुमान ने प्रवेश कर लिया था. वह छिद्र काफी गहरा था जिसका रास्ता नागलोक तक जाता था. अंततः हनुमान अपने रास्ते पर आगे बढ़ते गए और नागलोक पहुंच गए. वहा हनुमान की भेंट नागों के राजा श्री वासुकी से हुई.
नागलोक में था अगुठियो का भंडार
नागलोक में पहुंचकर हनुमान ने देखा की वहा एक-दो नहीं बल्कि अंगूठियों का बड़ा ढेर था. वासुकी जी ने भी हनुमान से कहा कि आप भगवान श्रीराम की अंगूठी इस ढेर में से तलाश सकते हैं.
हनुमान के सामने बड़ी दुविधा
अंततः हनुमान ने श्रीराम की अंगूठी की खोज शुरू कर दी. लेकिन उनके सामने एक बड़ी दुविधा थी. अगुठियो के ढेर में राम शब्द लिखी कई अंगूठियां थीं.जिनमे से श्री राम की अंगूठी ढूढ़ना हनुमान के लिए काफी मुश्किल था.
नहीं मिल रही थी अंगूठी
हनुमान हर अंगूठी को बड़ी ध्यान से देखते जा रहे थे. लेकिन उन्हें श्री राम की अंगूठी नहीं मिल रही थी क्यों की सभी अगुठिया एक जैसी ही थी.
हनुमान को हुआ श्रीराम के देह त्यागने का आभास
हालांकि हनुमान भी सर्वज्ञानी थे. उन्हें इसके पीछे का रहस्य ज्ञात हो गया था. उन्हें परिपूर्ण तरीके से भगवान श्रीराम की देहत्याग का आभास हो गया था.