शिवपुराण के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने हनुमान के रूप में अवतार लिया था। भगवान शिव के पसंदीदा अवतारों में हनुमान एक थे। उत्तर कांड में स्वयं श्रीराम ने अगस्त्य मुनि से कहा कि रावण पर विजय प्राप्त करने में हनुमान ने मुख्य भूमिका निभायी है। इस कड़ी में कुछ काम ऐसे हुए जिन्हें केवल हनुमान ही कर सकते थे।
100 जोजन लंबे समुद्र को लांघना
सीता की खोज के दौरान समुद्र पार करने के विषय पर अंगद, जामवंत जैसे वीरों ने 100 योजन लंबी समुद्र लांघने में अपनी असमर्थता जतायी। तब जामवंत ने सभी को हनुमान की क्षमता बतायी। इसके बाद वानरों में खुशी की लहर दौड़ गई। तब सभी की आज्ञानुसार हनुमान ने छलांग लगाकर समुद्र पार किया।
लंका में पहुँचने के बाद सीता को खोजना दुष्कर था। उस कठिन घड़ी में भी हनुमान ने उम्मीद नहीं छोड़ी। लंकिनी से बचते हुए आखिरकार अशोक वाटिका में उन्होंने सीता को खोज निकाला।
लंका दहन व रावण-पुत्र का वध
हनुमान ने सीता को खोजकर उन्हें भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया। इसके बाद उन्होंने अशोक वाटिका को तहस-नहस कर दिया। इसके पीछे का कारण यह था कि वो शत्रु की शक्ति का अंदाजा लगाना चाहते थे। रावण के सैनिकों व उसके पुत्र अक्षय कुमार का वध और लंका दहन केवल हनुमान ही कर सकते थे।
संजीवनी बूटी
वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण के पराक्रमी पुत्र इंद्रजीत ने ब्रह्मास्त्र चलाकर करोड़ों वानरों का वध कर दिया जिसके प्रभाव से राम व लक्ष्मण बेहोश हो गये। अपने आराध्य की जान बचाने के लिये हनुमान संजीवनी बूटी लाने गए। वहाँ संजीवनी बूटी को न पहचान पाने के कारण वो पूरा पहाड़ ही उठा कर ले आए।
विभीषण का पाला बदलवाना
वीर होने के साथ ही हनुमान कूटनीति भी जानते थे। लंका में सीता को खोजने के दौरान उन्होंने ब्राह्मण का वेश धर विभीषण से मुलाकात की और उन्हें अपने पक्ष में कर लिया। जब विभीषण राम की शरण में आये तो अन्य ने रावण का सहोदर होने के कारण उन पर शंका जाहिर की।
राक्षसों का वध
लंका में राम-रावण युद्ध के दौरान उन्होंने अपने पराक्रम से अनेक राक्षसों का वध कर दिया जिनमें त्रिशिरा, देवांतक, अकंपन प्रमुख थे