सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती से संबंधित कई त्योहार लेकर आता है। सावन का महीना शिव को अत्यंत प्रिय है, इसी महीने माता पार्वती से संबंधित हरियाली तीज आती है और उनके प्रिय नाग से संबंधित नाग पंचमी का पर्व भी। आज के दिन मधुस्रावणी पर्व भी है जिसे सौभाग्य कारक माना गया है। यह त्योहार बिहार के मिथिला क्षेत्र में मनाया जाता है। आइए जानते हैं मधुस्रावणी पर्व के बारे में और उनकी 5 बेटियों के पिता बनने की कथा…
बहुत कम लोग जानते हैं यह कथा
सावन मास में ही भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर पत्नी रूप में स्वीकार किया था। आपने भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय और गणेश के बारे में तो जानते ही होंगे लेकिन इनके अलावा उनकी पांच और बेटियां थीं। जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है।
इस तरह हुआ जन्म शिव पुत्रियों का
मधुस्रावणी व्रत में बताया गया है कि एक समय सरोवर में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की जलक्रीड़ा चल रही थी। उसी समय भगवान शिव का वीर्यपात हो गया जिस उन्होंने एक पत्ते पर रख दिया। इससे पांच कन्याओं का जन्म हुआ। यह पांच कन्याएं मनुष्य रूप में ना होकर नाग रूप में थीं। शिव पुराण में भी शिवजी की एक पुत्री का जिक्र हुआ है जो नागों की देवी मनसा हैं।
माता पार्वती को नहीं थी जानकारी
देवी पार्वती को इस बात की जानकारी नहीं थी कि शिवलीला से पांच नाग कन्याओं का जन्म हुआ है। जबकि शिवजी को अपनी पांचों पुत्रियों के बारे में पता था और वह उनसे स्नेह भी रखते थे इसलिए हर सुबह सरोवर पर जाकर उन कन्याओं से मिल आते थे और उनके साथ खेलते थे।
माता पार्वती को हुई शंका
हर दिन महादेव के सुबह-सुबह सरोवर पर चले जाने पर माता पार्वती के मन में शंका के बीज अंकुरित होने लगे। इसलिए उन्होंने तय किया कि इस रहस्य को जानकर रहेंगी।एक दिन भगवान शिव जब सरोवर के लिए निकले तब माता पार्वती भी उनके पीछे-पीछे सरोवर पहुंच गईं।
जानकर माता पार्वती को आया क्रोध
सरोवर पर उन नाग कन्याओं के साथ महादेव को पिता की तरह मिलते और खेलते देखा तो माता पार्वती को क्रोध आ गया। क्रोध में माता ने नाग-कन्याओं को मारने के लिए पैर उठाया तो भोलेनाथ ने उनको बताया कि ये सभी आपकी बेटी हैं।
शिवजी की नाग पुत्रियों के नाम
माता पार्वती भगवान शिव की ओर आशर्चयचकित होकर देखने लगीं। फिर भगवान शिव ने उनको नागकन्याओं के जन्म की कथा सुनाई। इसके बाद माता पार्वती जोर-जोर से हंसने लगीं। इन नाग कन्याओं का नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि है।
इसलिए होती है पूजा
महादेव ने कहा कि जो भी इन कन्याओं की पूजा करेगा, उसे जीवनकाल सर्पभय नहीं रहेगा। साथ ही उसके परिवार को कभी भी सर्प नहीं डसेंगे। यही कारण है कि सावन मास में इन नाग कन्याओं की पूजा की जाती है। सावन कृष्ण पंचमी से लेकर सावन शुक्ल पंचमी तक इनकी पूजा और कथा की जाती है।