जब रावण में माता सीता का अपहरण किया था अब श्री राम ने हनुमान जी को भेजा, बाद में अंगद को भेजा, कुंभकर्ण को भी भेजा विभीषण को भी भेजा की रावण सुधर जाये और रावण अच्छे रस्ते पर वापिस लौट पर रावण ने एक की भी नहीं सुनी. राम ने रावण को कई सारे मौके दिए पर रावण ने प्रतिशोध की भावना के कारण किसी की भी नहीं सुनी.
बात तो यहाँ तक भी पहुच चुकी थी की रावण के कुटुंब के लोगो ने भी रावण को समजाया की राम को उनकी धर्मपत्नी लौटा दे पर रावण ने एक की भी नहीं सुनी. वैसे आपको एक रोचक बात बतादे की रावण एक बार मान भी गया था पर तब तक तो बेहद ही दिएर हो चुकी थी और राम में युद्ध की घोषणा भी कर दी थी.
भगवान श्री राम ने रावण को दंड देने के लिए युद्ध में सभी तरह की मर्यादाओं का पालन किया, वहा पर आक्रमण करने के लिए भी अलग-अलग तरीको का इस्तेमाल होता था, जब राम की सेना ने युद्ध जित लिया तो ऐसा नहीं बना था की राम की सेना ने लंका में घुसकर उत्पात मचाया हो, जैसा आज के समय में हो रहा है.
राम की सेना ने किसी भी निर्दोष को नहीं मारा था और ना ही उसको लुटा था, राम सेना ने ऐसा कुछ भी नहीं किया था जैसा आज के मौजूदा समय में हो रहा है. यदि किसी सडक पर ऐसा खुलेआम अन्याय होगा तो रामराज्य कैसे कहलायेगा.
तो अब तो आप समज ही गये होंगे की हम क्या कहना चाह रहे थे.