सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक पर्व हरियाली तीज मनाया जाता है। इस बार यह उत्सव 13 अगस्त 2018 को है। इस उत्सव को श्रावणी तीज और कजरी तीज भी कहते हैं। हरियाली तीज पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं। आइए जानते हैं कि इस त्योहार का पौराणिक महत्व।
कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक तपस्या की थी। इसके लिए माता पार्वती को 108 बार जन्म लेना पड़ा था। तब जाकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। तभी से इस व्रत को मनाने की परंपरा है।
हरियाली तीज पर सुहागन महिलाएं व्रत रखकर और सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी आयु के लिए माता पार्वती और भगवान शिवकी पूजा-अर्चना करती हैं।
हरियाली तीज पर सुहागन महिलाएं व्रत रखकर और सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लंबी आयु के लिए माता पार्वती और भगवान शिवकी पूजा-अर्चना करती हैं।
इस पर्व पर महिलाएं में मेंहदी, सुहाग का प्रतीक सिंघारे और झूला झूलने का विशेष महत्व होता है। गांव और कस्बों में जगह-जगह झूले लगाए जाते है और महिलाएं एक साथ कजरी गीत गाती हैं।
हरियाली तीज पर नव विवाहित महिला को उनके ससुराल से मायके बुलाने की परंपरा है। साथ ही ससुराल से भेंट स्वरुप कपड़े, गहने, सुहाग का सामान और मिठाई साथ में दी जाती है।
इस दिन अनेक स्थानों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। यह त्योहार उत्तर प्रदेश,मध्यप्रदेश और राजस्थान में बड़े धूमधाम से माता पार्वती और भगवान शिव की सवारी निकाली जाती है जिसकी एक झलक पाने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।