श्रावण के महीने कई तीज और त्यौहार आते हैं जो महिलाओं के लिए खास महत्व रखते हैं. ऐसे ही सावन में हरियाली तीज का काफी महत्व है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. इस त्यौहार को महिलाएं शिवजी और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए करती हैं और अपने परिवार की लम्बी उम्र की कामना भी करती हैं. आपको बता दें, इस बार ये 13 अगस्त को मनाई जाएगी जिसके लिए महिलाएं अभी से तैयारी कर रही हैं. इस पर्व को भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के रूप में मनाया जाता है.
इस व्रत को करने पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और खूबसूरत दिखाई देती हैं. साथ ही इसे मनाने के लिए नाचगी और गाती भी हैं. अगर आप भी इस व्रत को करती हैं तो बता देते हैं इसकी पूजा का शुभ मुहूर्त. इस पर्व का शुभ मुहूर्त: सोमवार सुबह 08:36 से शुरू होगा और 14 तारीख सुबह 05 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. इस दिन पूजा को विधि विधान से करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं. आप भी पूजा करने वाली हैं तो जान लीजिये क्या-क्या खास है इस पूजा में.
सबसे पहले पूजा के लिए आपको बेल पत्र, केले के पत्ते, धतूरा, तुलसी, शमी के पत्ते, काले रंग की गीली मिट्टी, जनैव, धागा और नए वस्त्र की ज़रूरत पड़ेगी. इस में आपको माँ पार्वती के श्रृंगार के लिए कुछ सामग्री लगेगी जिसके बारे में जान लीजिये. चूडियां, महौर, खोल, सिंदूर, बिछुआ, मेहंदी, सुहाग पूड़ा, कुमकुम, कंघी, सुहागिन के श्रृंगार की चीज़ें. ये चीज़े भगवान शिव को माँ पार्वती को अर्पित की जाती हैं जिसका अर्थ होता है हम उनका श्रृंगार कर रहे हैं.
पूजा विधि –
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर लें घर पर स्वच्छ कर स्वेच्छा वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लेते हुए आप ‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ का जप कर सकते हैं. इसके लिए पहले आप काली मिट्टी के प्रयोग से भगवान शिव और मां पार्वती तथा भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं. इसके बाद थाली को सभी सामग्री से सजा लें और एक एक करके भगवान को सामग्री अर्पित करें और कथा सुनें. अंत में आरती करके भगवान को भोग लगाएं.