सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस महीने में भगवान शिव की आराधना की जाती है. इसमें कांवड़ियों का भी काफी महत्व होता है. इस महीने में काफी लोग कांवड़ लेकर जाते हैं जो उनके लिए काफी अहम होता है. अक्सर आपने देखा होगा कि लोग कांवड़ भरने के लिए हरिद्वार जाते हैं. आप इस बात को जानते होंगे और गर नहीं जानते तो हम आपको बता देते हैं क्यों हरिद्वार ही जाते हैं. आइये जानते हैं क्या है इसकी वजह.
मान्यता है कि पूरे श्रावण मास भगवान शिव अपनी ससुराल राजा दक्ष की नगरी कनखल हरिद्वार में निवास करते हैं क्योंकि भगवान विष्णु चातुर्मास के लिए विश्राम करने चले जाते हैं और तीनों लोकों का भार उन्हें ही सम्भालना पड़ता है. यही वजह है कि कांवड़िये श्रावण माह में गंगाजल लेने हरिद्वार आते हैं. इसके अलावा पहले भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लेकर पुरामहादेव मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक किया था. इसलिए यह प्रथा अभी भी बनी हुई है.
ये भी कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने विषपान किया था जिसके प्रभाव को ठंडा करने के लिए गंगाजल से अभिषेक किया जाता है. उस समय देवताओं ने उनके ऊपर जल चढ़ाया जिससे भगवान शिव का शरीर शीतल हो गया. इसी कारण भगवान शिव के भक्त उन्हें हमेशा गंगाजल से नहलाते हैं. कांवड़ लेकर सभी कांवड़ियाँ गंगा को धारण किए शिवालयों की ओर बढ़ते हैं जिसमें वो केसरियां रंग के कपड़े पहनते हैं और भगवान शिव का ना जपते जाते हैं. अंत में भगवान शिव के स्थान को जाकर उन्हें गंगाजल चढ़ा देते हैं.