हनुमान जी के जितने भी भक्त होंगे उनके घर में हनुमान चालीसा जरूर होगा और आए दिन इसका पाठ भी करते होंगे। और अगर आप इसका पाठ नहीं करते हैं तो अपनी आदत में इसे शामिल कर लीजिए क्योंकि हनुमान चालीसा सिर्फ हनुमान जी को खुश करने का साधन ही नहीं बल्कि आपकी मनोकामना पूरी करने का सबसे सरल उपाय है।
तुलसीदास जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा में कुल 40 चौपाई है। हर चौपाई का अपना अलग महत्व है जिसकी साधना आप अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए कर सकते हैं। यानी आपकी जैसी मनोकामना है उसी अनुसार चौपाई का पाठ करें।
चौपाई के पाठ से मनोकामना पूरी करने के लिए कुछ सामान्य से नियम हैं जिनका पालन जरूरी है। पाठ शुरु करने से पहले भगवान श्री राम और हनुमान जी की पूजा करें। इसके बाद जैसी कामना हो उस अनुसार चौपाई का ध्यान करें और कम से कम 40 दिनों तक नियमित उस चौपाई का 108 बार जप करें।
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार।। इस दोहे के पाठ से स्मरण शक्ति और बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। स्वास्थ्य के मामले में भी यह चौपाई लाभप्रद रहती है।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥ इस चौपाई के पाठ से रोग दोष का नाश होता है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी में इन चौपाई का जप लाभप्रद माना गया है।
संकट तै हनुमान छुडावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥२६॥ हनुमान चालीसा की यह 26 वीं चौपाई है जिसके पाठ से संकट और परेशानियों से मुक्ति मिलती है। ग्रह दोष या किसी अन्य कारणों से जीवन में कठिन समय चल रहा हो तब इसक पाठ लाभप्रद रहता है।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥ पद प्रतिष्ठा की इच्छा रखने वालों को हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ करना चाहिए।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥३१॥ धन्य धान्य और सिद्धियां हासिल करने के लिए हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ करें।
भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचंद्र के काज संवारे॥१०॥ शत्रु और विरोधी आपको परेशान कर रहे हैं तो हनुमान चालीसा की दसवीं चौपाई का पाठ नियमित करें।