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पुरातत्व विभाग अधिकारी रमेश यादव ने बताया कि प्रदेश में यह एकमात्र ऐसा केंद्र होगा, जहां पहली ईसा पूर्व से 19वीं शताब्दी तक की पाषाण प्रतिमाएं होंगी। इस केंद्र में शिव से संबंधित सभी मूर्तियां देखी जा सकती हैं।
यहां शिव का शृंगार रूप, रौद्र रूप और सौम्य रूप सहित नटराज प्रतिमा भी उपलब्ध होगी। इस केंद्र में शुंगकाल, गुप्तकाल और विक्रमादित्य काल की भी महत्वपूर्ण दुर्लभ प्रतिमाएं लगाई जा रही हैं।
इसी केंद्र में महाकाल की प्रतिमा वाले सिक्के भी प्रदर्शित होंगे। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस केंद्र में दुर्गायन दीर्घा में मां दुर्गा के रूपों का वर्णन भी नजर आएगा।
माहेश्वरी ब्राह्मणी, कौमारी, इंद्री, चामुण्डा, विनायकी के अतिरिक्त मां दुर्गा के विविध रूपों की मूर्तियां होंगी। यहां पर पन्ना के नानचाड़ और मंदसौर के आवरा स्थान से प्राप्त महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति भी होगी।
जबकि कृष्णायन दीर्घा में अवतारवाद विष्णु के विभिन्न रूपों की मूर्तियां व विश्वरूप के दिग्दर्शन भी प्रदर्शित किए जाएंगे।