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इसके आगमन से प्रकृति में नवीनता और सुंदरता का समावेश होने लगता है। कामदेव का ही एक नाम मदन भी है। कामदेव का निवास अनेक स्थानों पर होता है, जैसे- सुंदर उद्यान, पक्षियों के मधुर स्वर, मधुर संगीत, सुंदर पुष्प, सुंदर नेत्र, होठ आदि।
शास्त्रों में बताया गया है कि कामदेव जब किसी पर अपने धनुष से कामबाण का प्रहार करता है तो संंबंधित व्यक्ति का चित्त काम से व्याकुल हो जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कामदेव का यह धनुष किसी साधारण लकड़ी से नहीं बना है। यह गन्ने से बना है। गन्ना मधुरता का प्रतीक है जिसका अर्थ है, जहां कामदेव है, वहां प्रेम संबंधों में मधुरता है।
कामदेव के पास पांच बाण भी हैं। इन्हें पंचबाण कहा जाता है। जिस पर इन बाणों का प्रहार होता है, उसके जीवन में प्रेम की मधुरता का समावेश हो जाता है। यह भी माना जाता है कि जब कामदेव के धनुष से बाण चलते हैं तो उनसे किसी प्रकार की ध्वनि नहीं निकलती। उसे सिर्फ वही व्यक्ति अनुभव कर सकता है जिस पर इनका प्रहार हुआ है।
कामदेव इस कार्य में अकेले नहीं हैं। इस काम में उनका साथ देवी रति देती हैं जो कामदेव की पत्नी हैं। पौराणिक कथाओं में वर्णन किया गया है कि जब देवताओं ने कामदेव से शिवजी की तपस्या भंग करने का निवेदन किया तो देवी रति इस कार्य में उनकी भागीदार बनी थीं। बाद में शिवजी को क्रोध आ गया और उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया था।