हर देवमंदिर के द्वार पर प्राय: घंटियां होती हैं। देवी-देवता के आशीर्वाद से पूर्व श्रद्धालु उन घंटियों को बजाते हैं और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। क्या आप जानते हैं कि मंदिरों में घंटियां क्यों होती हैं? यह परंपरा बहुत प्राचीन है। इसके पीछे मात्र परंपराएं ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक रहस्य भी हैं।
जापान के बौद्ध मंदिरों में भी विशेष प्रकार की घंटियां होती हैं। श्रद्धालु इन्हें बजाकर अपने इष्ट देव के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इनसे बहुत मधुर ध्वनि निकलती है। मंदिर की घंटी बजाने से विशेष प्रकार की ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं। जब वातावरण में इनका प्रसार होता है तो ये नकारात्मकता को दूर करती हैं और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती हैं।
इससे मंदिर के आसपास का माहौल शांत और सुखद बनता है। लोगों को एक खास किस्म की आध्यात्मिक शांति मिलती है। अध्यात्म में माना जाता है कि नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह मन के अलावा वातावरण को भी प्रभावित करती है। जिस देश या घर में अशांति का माहौल होता है, वहां नकारात्मकता तेजी से पनपती है।
घंटी का एक फायदा यह होता है कि इससे किसी अजनबी को भी यह ज्ञात हो जाता है यहां देवमंदिर है। इससे उसका शीश स्वत: भगवान के सम्मान में झुक जाता है। शास्त्रों के अनुसार, घंटी बजाना दैवीय शक्ति को नमन करना है।