भगवान गणपति प्रथम पूज्य हैं। उनके दर्शन, पूजन से शुभ कार्यों के विघ्न दूर होते हैं। दक्षिण भारत में भगवान गणपति का एक मंदिर अपनी कथा के कारण अनोखा और अनूठा माना जाता है। मान्यता है कि यहां भगवान के दर्शन करने से मन की शुभ इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
यह मंदिर जिस पहाड़ी पर है, उसका नाम- रॉक फोर्ट है। मंदिर का नाम उच्ची पिलयार है। मान्यता है कि इसका संबंध विभीषण से है। कथा के अनुसार, श्रीराम ने रावण का वध करने के बाद अपने भक्त विभीषण को एक विष्णु प्रतिमा दी।
तब सभी देवता भगवान गणपति के पास गए। उन्होंने उनसे प्रार्थना की कि वे भगवान की प्रतिमा लंका में न जाने दें। गणपति ने देवताओं की विनती स्वीकार कर ली। उधर विभीषण तमिलनाडु आ गए। वहां उनकी स्नान करने की इच्छा हुई।
विभीषण जब स्नान करने गए तो गणपति ने वह प्रतिमा स्थापित कर दी। स्नान के बाद जब विभीषण वापस आए तो उन्होंने मूर्ति उठाने की कोशिश की परंतु वह अपने स्थान से हिल नहीं रही थी। यह देखकर उन्होंने क्रोध आया और वे उस बालक की तलाश करने लगे।
मान्यता है कि गणपति के शीश पर उस चोट का निशान आज भी विद्यमान है। गणेशजी उस समय से लेकर आज तक यहां विराजमान हैं। गणपति के उच्ची पिलयार मंदिर के पास ही भगवान रंगनाथ यानी विष्णुजी का मंदिर है।