चाणक्य के एक दोहे से समझा जा सकता है कि मनुष्य को किन चीजों से संतोष रखना चाहिए और किन चीजों से कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए-
तीन ठौर संतोष कर, तिय भोजन धन माहिं।
दानन में अध्ययन में, जप में कीजै नाहिं।।
इन तीन चीजों से संतुष्ट रहना चाहिए
1. अपनी स्त्री (पत्नी)
हर व्यक्ति को अपनी पत्नी से ही संतुष्ट रहना चाहिए। दूसरी स्त्रियों के पीछे नहीं भागना चाहिए। दूसरी स्त्रियों पर ध्यान देने वाले व्यक्ति की पत्नी उससे नाराज रहती है। ऐसे में कई बार पति-पत्नी का रिश्ता तक टूट जाता है। इसीलिए अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाए रखने के लिए व्यक्ति को अपनी पत्नी से संतुष्ट रहना चाहिए।
2. भोजन
हमें जो भोजन घर में मिले, उसी से संतुष्ट रहना चाहिए। घर का भोजन छोड़ कर बाहर के खाने पर मन रखने वाला व्यक्ति जल्दी बीमारियों की गिरफ्त में आ जाता है। वह हमेशा अपना नुकसान ही करता है। ऐसा इंसान सिर्फ स्वाद के चक्कर में अपनी सेहत से समझौता करता है और कई बीमारियों का शिकार हो जाता हैं। इसलिए मनुष्य को जो भोजन अपने घर पर मिलता है, उसी से संतुष्ट रहना चाहिए।
3. धन
व्यक्ति को उसकी जितनी आय हो, उसी में संतोष रखना चाहिए। ज्यादा धन या दूसरों के धन के लालच में नहीं पड़ना चाहिए। जिस व्यक्ति की नजर दूसरों के धन पर होती है, वह हर समय दूसरे के धन को पाने की योजना बनाता रहता है। ऐसा मनुष्य कोई गलत काम करने में भी हिचकिचाता नहीं है। इस कारण आगे चल कर उसे कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता हैं। इससे बचने के लिए मनुष्य को अपने धन से ही संतुष्ट रहना चाहिए।
1. अध्ययन
अध्ययन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। मनुष्य को चाहे कितना ही ज्ञान क्यों न मिल जाए, वह कभी भी संपूर्ण नहीं होता है। व्यक्ति को हमेशा ही नया ज्ञान पाने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमें जितना ज्यादा ज्ञान मिलता है, हमारा चरित्र उतना ही अच्छा बनता है। सही ज्ञान से जीवन की किसी भी परेशानी का हल निकाला जा सकता है। इसीलिए व्यक्ति कितना ही अध्ययन कर ले, उसे कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए।
2. जप
किसी देवी-देवता की पूजा में मंत्रों का जप करने का विशेष महत्व है। मंत्रों और देवी-देवताओं के नामों का जप करने से हमें सभी परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है और जीवन में शांति बनी रहती है। भगवान को याद करने की कोई सीमा नहीं होती। हम कितना भी जप कर ले, वह कम ही होता है। हमें कभी भी जप से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, हमेशा जप करते रहना चाहिए।
3. दान
शास्त्रों में कुछ काम हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य बताए गए हैं, दान भी उन्हीं में से एक है। हर व्यक्ति को दान जरूर करना चाहिए। हम कितना ही दान करें, कभी भी उसका हिसाब-किताब नहीं करना चाहिए। हमें कभी भी दान से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, जहां भी मौका मिले पवित्र भावनाओं के साथ दान करते रहना चाहिए।
2. भोजन
3. धन
1. अध्ययन
2. जप
3. दान