मंगेशी मंदिर गोवा का एक प्रमुख मंदिर है। यह 20 किमी दूर, मंगेशी गांव में स्थित है। यह स्थान पोंडा तालुका में मोंगरी पर्वतो के बीच है। मंगेशी मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
कहते हैं एक बार शिव जी यहां बाघ के रूप में देवी पार्वती के सामने प्रकट हुए। देवी पार्वती उन्हें देखकर घबरा गईं और उनके मुंह से ‘ रक्षाम् गिरीश’ (मदद करो गिरिजापति) शब्द निकले। तभी से भगवान शिव मंगिरीश के नाम से मंगेशी मंदिर में पूजे जाने लगे।
मंगेशी मंदिर की वास्तुकला विशेष है। यह मंदिर 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। यहां एक भव्य दीपस्तंभ भी है। मंगेशी मंदिर के अलावा गोवा में कामाक्षी मंदिर, सप्तकेतेश्वर मंदिर, श्री शांतादुर्ग मंदिर, महलासा नारायणी मंदिर, भगवती मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर आदि हिंदू मंदिर विख्यात हैं।
यहां करते थे परशुराम यज्ञ
हरिवंशम और स्कंद पुराण में गोवा, का उल्लेख महाभारत में गोपराष्ट्र नाम से मिलता है। गोपराष्ट्र का अर्थ है गाय चराने वाला देश, दक्षिण कोंकण क्षेत्र का उल्लेख गोवाराष्ट्र के रूप में पाया जाता है। संस्कृत के कुछ अन्य पुराने ग्रंथों में में गोवा को गोपकपुरी और गोपकपट्टन कहा गया है।
मान्यता है कि इस शहर की रचना भगवान परशुराम ने की थी। यह प्राचीन कोंकण क्षेत्र का एक हिस्सा था। कहते हैं परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणो की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था।
यही कारण है कि गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली हैं। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।