सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि गंगाजल (Ganga Dussehra 2025) से देवों के देव महादेव का अभिषेक करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इसके लिए सोमवार समेत विशेष तिथि पर भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। साथ ही शिव मंत्र का जप किया जाता है।
सनातन धर्म में गंगा दशहरा का खास महत्व है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद भगवान शिव और मां गंगा की पूजा करते हैं। सुविधा न होने पर साधक घर पर गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान-ध्यान कर सकते हैं।
धार्मिक मत कि गंगा स्नान करने से साधक को जाने-अनजाने में किए गए समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक पर देवी मां गंगा की असीम कृपा बरसती है। उनकी कृपा से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। लेकिन क्या आपको पता है कि गंगा दशहरा कब और क्यों मनाया जाता है। आइए, गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2025 Date) के बारे में सबकुछ जानते हैं।
कब मनाया जाता है गंगा दशहरा?
हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। यह दिन देवी मां गंगा को समर्पित होता है। इस दिन साधक मां गंगा की पूजा करते हैं। साथ ही मां गंगा के निमित्त व्रत रखते हैं। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर गंगा नदी के तट पर मेला लगता है। साथ ही संध्याकाल में गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।
गंगा दशहरा कब है (Ganga Dussehra 2025 Kab Hai)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 04 जून को देर रात 11 बजकर 54 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 06 जून को देर रात 02 बजकर 15 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 05 जून को गंगा दशहरा मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा शुभ योग (Ganga Dussehra Shubh Yoga)
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। सिद्धि योग का संयोग सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक है। इसके साथ ही रवि योग का संयोग दिन भर है। इन योग में गंगा स्नान कर देवी मां गंगा और महादेव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।