पूजा-पाठ या फिर किसी धार्मिक अनुष्ठान में कई तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि वह कार्य बिना किसी बाधा से सम्पन्न हो सके। इसी प्रकार मांगलिक कार्यों में मंगल कलश को स्थापित करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि घर में मंगल कलश स्थापित करते समय किन वास्तु नियमों का ध्यान रखना चाहिए।
वास्तु शास्त्र में व्यक्ति के जीवन से जुड़ी कई परेशानियों का हल मिल सकता है। यह हिंदू प्रणाली के सबसे पुराने विज्ञानों में से एक है, जिसमें दिशाओं का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं घर में मंगल कलश स्थापित करने से वास्तु नियम, ताकि आपको इसके शुभ परिणाम प्राप्त हो सके।
कलश स्थापना से मिलते हैं ये लाभ
वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार, घर में अष्टदल कमल बनाकर मंगल कलश स्थापित किया जाए, तो वह ज्यादा शुभ होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इससे व्यक्ति पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है। माना जाता है कि कलश स्थापना करने से साधक और उसके परिवार पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी बना रहता है, जिससे आर्थिक संकट दूर हो सकते हैं।
इस तरह करें कलश स्थापना
सबसे पहले एक कलश में जल भरकर उसमें एक तांबे का सिक्का डाल दें। इसके साथ ही कलश में दुर्वा, चंदन, हल्दी, अक्षत, पान, सुपारी, लौंग और इलायची आदि भी डालें। इसके बाद कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और उसके मुख पर नारियल रख दें। अब रोली या फिर कुमकुम का इस्तेमाल करते हुए कलश पर स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं और कलावा (रक्षा सूत्र) बांधे।
इसके बाद जहां आप कलश की स्थापना करना चाहते हैं, वहां अष्टदल कमल की आकृति बनाएं और उसपर कलश की स्थापना करें। वास्तु शास्त्र में मंगल कलश की स्थापना के लिए ईशान कोण सबसे उत्तम दिशा माना गया है। आप चाहें तो घर के मंदिर में भी इस कलश की स्थापना कर सकते हैं। इससे भी आपको लाभ देखने को मिलेगा।