मंगलवार का दिन भगवान हनुमान की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग भगवान हनुमान की पूजा करते हैं उन्हें श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही सभी संकटों का नाश होता है। ऐसे में अगर आप राम भक्त हनुमान की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको श्री राम चालीसा का पाठ भी अवश्य करना चाहिए।
सनातन धर्म में बजरंगबली की पूजा बहुत ही पुण्यदायी मानी जाती है। मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा अति उत्तम मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर इस दिन के उपवास के साथ प्रभु राम की पूजा नियम अनुसार की जाए, तो पवन पुत्र प्रसन्न होते हैं।
इसलिए जो साधक लगातार किसी बड़े संकट से घिरे हुए हैं, उन्हें राम जी और संकटमोचन की पूजा एक साथ करनी चाहिए। इसके साथ ही ‘श्री राम चालीसा का पाठ’ करना चाहिए, जो इस प्रकार है –
इस विधि से करें पाठ –
- सुबह पवित्र स्नान करें।
- इसके बाद हनुमान जी के मंदिर जाएं या फिर घर पर पूजा करें।
- तुलसी माला और लड्डू का भोग लगाएं।
- चमेली के तेल का दीपक जलाएं।
- फिर श्री राम चालीसा का पाठ और हनुमान जी के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- पूजा का समापन आरती से करें।
- अंत में अपने संकट को दूर करने की प्रार्थना करें।
- ।।श्रीराम चालीसा।।
- ”दोहा”
- आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
- वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं
- बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
- पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं
- ”चौपाई”
- श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।
- सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
- निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
- ता सम भक्त और नहिं होई ॥
- ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।
- ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥
- जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
- सदा करो सन्तन प्रतिपाला ॥
- दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।
- जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना ॥
- तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
- रावण मारि सुरन प्रतिपाला ॥
- तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।
- दीनन के हो सदा सहाई ॥
- ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
- सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ॥
- चारिउ वेद भरत हैं साखी ।
- तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥
- गुण गावत शारद मन माहीं ।
- सुरपति ताको पार न पाहीं ॥
- नाम तुम्हार लेत जो कोई ।
- ता सम धन्य और नहिं होई ॥
- राम नाम है अपरम्पारा ।
- चारिहु वेदन जाहि पुकारा ॥
- गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।
- तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों ॥
- शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
- महि को भार शीश पर धारा ॥
- फूल समान रहत सो भारा ।
- पावत कोउ न तुम्हरो पारा ॥
- भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
- तासों कबहुँ न रण में हारो ॥
- नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।
- सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ॥
- लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
- सदा करत सन्तन रखवारी ॥
- ताते रण जीते नहिं कोई ।
- युद्ध जुरे यमहूँ किन होई ॥
- महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
- सब विधि करत पाप को छारा ॥
- सीता राम पुनीता गायो ।
- भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ॥
- घट सों प्रकट भई सो आई ।
- जाको देखत चन्द्र लजाई ॥
- सो तुमरे नित पांव पलोटत ।
- नवो निद्धि चरणन में लोटत ॥
- सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
- सो तुम पर जावै बलिहारी ॥
- औरहु जो अनेक प्रभुताई ।
- सो सीतापति तुमहिं बनाई ॥
- इच्छा ते कोटिन संसारा ।
- रचत न लागत पल की बारा ॥
- जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।
- ताको मुक्ति अवसि हो जावै ॥
- सुनहु राम तुम तात हमारे ।
- तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे ॥
- तुमहिं देव कुल देव हमारे ।
- तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ॥
- जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
- जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥
- रामा आत्मा पोषण हारे ।
- जय जय जय दशरथ के प्यारे ॥
- जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
- निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा ॥
- सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।
- सत्य सनातन अन्तर्यामी ॥
- सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
- सो निश्चय चारों फल पावै ॥
- सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।
- तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं ॥
- ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
- नमो नमो जय जापति भूपा ॥
- धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।
- नाम तुम्हार हरत संतापा ॥
- सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
- बजी दुन्दुभी शंख बजाया ॥
- सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।
- तुमहीं हो हमरे तन मन धन ॥
- याको पाठ करे जो कोई ।
- ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥
- आवागमन मिटै तिहि केरा ।
- सत्य वचन माने शिव मेरा ॥
- और आस मन में जो ल्यावै ।
- तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥
- साग पत्र सो भोग लगावै ।
- सो नर सकल सिद्धता पावै ॥
- अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
- जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥
- श्री हरि दास कहै अरु गावै ।
- सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥
- ”दोहा”
- सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
- हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥
- राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
- जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय ॥