धार्मिक मत है कि जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु (Yogini Ekadashi Importance) के शरणागत रहने वाले साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही साधक के आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। भगवान विष्णु व्रती को इच्छा अनुसार फल प्रदान करते हैं। इसके लिए भगवान विष्णु के परम भक्तों को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि जगत के नाथ भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। वैष्णव समाज के अनुयायियों के लिए एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस उपलक्ष्य पर मंदिरों में भगवान श्रीहरि विष्णु की विशेष उपासना की जाती है। साथ ही कीर्तन-भजन कर साधक श्रीहरि के शरण में रहते हैं। इस व्रत की महिमा का गुणगान विष्णु पुराण में विस्तार से किया गया है। धार्मिक मत है कि एकादशी व्रत करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। आइए, योगिनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पारण का समय जानते हैं-
योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 जुलाई को भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 02 जुलाई को सुबह 08 बजकर 42 मिनट पर है। वैष्णव समाज संग सामान्यजन 2 जुलाई को योगिनी एकादशी का व्रत रख जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करेंगे।
महत्व
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस व्रत के कई कठोर नियम हैं। इन नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। अनदेखी करने से व्रत सफल नहीं माना जाता है। व्रती दिन भर उपवास रखते हैं। इस दौरान फल और जल एक बार ग्रहण कर सकते हैं। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करते हैं। रात्रि के पहले प्रहर में कीर्तन भजन कर भगवान विष्णु को प्रसन्न करते हैं।
पारण समय
व्रती 02 जुलाई को स्नान-ध्यान के बाद विधिपूर्वक लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। रात्रि में माला जप या कीर्तन भजन करें। अगली सुबह को सामान्य दिनों की तरह स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके पश्चात व्रत का पारण करें। पारण के समय अन्न का दान अवश्य करें। योगिनी एकादशी पर पारण का समय सुबह 05 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 10 मिनट तक है।