ऐसा माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान आदि करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। इस बार गंगा दशहरा का पर्व 16 जून रविवार के दिन मनाया जा रहा है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि गंगा दशहरा पर किन मंत्रों का जाप करना शुभ होता है।
हिंदू धर्म में गंगा को कलयुग का तीर्थ माना गया है। इसके साथ ही गंगा जी को पापमोचनी भी कहा जाता है, क्योंकि लोक मान्यताओं के अनुसार, गंगा में डुबकी लगाने मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ज्येष्ठ माह में मनाया जाने वाला गंगा दशहरा भी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है, ऐसे में चलिए जानते हैं कि गंगा दशहरा पर आप किस प्रकार गंगा मैया को प्रसन्न किया जा सकता है।
क्यों खास है गंगा दशहरा
पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार राजा भागीरथ ने कठोर तपस्या की, ताकि गंगा मैय्या का पृथ्वी पर आगमन हो और उनके पित्तरों को मोक्ष की प्राप्ति हो सके। उन्हें उनकी तपस्या का फल भी मिला और परिणामस्वरूप गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ।
लेकिन गंगा का वेग इतना अधिक था कि उसे सहने की क्षमत पृथ्वी में नहीं थी। तब भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया और इसके बाद उनका धरती पर आना संभव हो पाया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि पर ही मां गंगा देवलोक से धरती पर अवतरित हुई थीं। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
इन मंत्रों से करें प्रसन्न
- ॐ नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा॥
- “गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति
- गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं । त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां
- गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति! नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु
- ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम:।।
- गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति॥