राखी मनाने की शुरुआत द्वापर यगु से हुई है। तत्कालीन समय में एक बार जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण को हाथ में चोट लग गई थी। उस समय द्रौपदी ने आंचल से एक टुकड़ा निकालकर भगवान श्रीकृष्ण के हाथ पर बांध दिया था। इस उपाय से भगवान श्रीकृष्ण को चोट में राहत मिली थी। यह देख भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को सदैव उनकी रक्षा करने का वचन दिया था।
हर वर्ष सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर राखी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भाई और बहनों को समर्पित होता है। इस दिन बहनें स्नान-ध्यान के बाद सबसे पहले जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसके बाद विधि-विधान से भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। इस समय तिलक और अक्षत लगाकर, आरती उतारकर, मिठाई खिलाकर राखी बांधती हैं। साथ ही तरक्की और उन्नति के लिए भगवान श्रीकृष्ण से कामना करती हैं। इस उपलक्ष्य पर भाई भी अपनी बहनों को उनकी पसंद की चीजें उपहार में देते हैं। साथ ही बहन के सुख और दुख में भागीदार बनने का वचन देते हैं। आइए, रक्षाबंधन का सही डेट, शुभ-मुहूर्त, योग एवं भद्रा समय जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
सावन महीने की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को देर रात 03 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 19 अगस्त को देर रात 11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। यह गणना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार है। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। इसके लिए 19 अगस्त को रक्षाबंधन मनाई जाएगी। हालांकि, भद्रा योग के समय में राखी नहीं बांधी जाती है।
भद्रा योग
ज्योतिषियों की मानें तो सावन पूर्णिमा पर भद्रा समय सुबह 05 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक है। शास्त्रों में भद्रा के समय में शुभ कार्य करने की मनाही है। इसके लिए इस समय तक राखी बांधने हेतु शुभ समय नहीं है। इसके बाद राखी का त्योहार मनाया जा सकता है।
शिव योग
रक्षाबंधन पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 20 अगस्त को 12 बजकर 47 मिनट तक है। वहीं, धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस योग का
संयोग 20 अगस्त को 05 बजकर 45 मिनट तक है।
राखी बांधने का सही समय
सावन पूर्णिमा पर राखी बांधने का सही समय दोपहर 01 बजकर 32 मिनट से लेकर 04 बजकर 20 मिनट तक है। इसके बाद प्रदोष काल में शाम 06 बजकर 56 मिनट से लेकर 09 बजकर 08 मिनट तक है। इन दोनों समय में अपनी सुविधा अनुसार, बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।