इस आरती से करें भगवान कुबेर की पूजा का समापन

शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो साधक कुबेर जी की पूजा करते हैं उनके घर में कभी धन की समस्या नहीं होती है। साथ ही आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुबेर देव की पूजा शुक्रवार के दिन बेहद ही लाभकारी होती है क्योंकि यह दिन उन्हें बेहद प्रिय है।

सनातन धर्म में भगवान कुबेर की पूजा बहुत शुभ मानी गई है। शुक्रवार के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो जातक कुबेर जी की पूजा करते हैं उनके घर में कभी धन की समस्या नहीं होती है। साथ ही आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुबेर देव की पूजा (Kuber Puja) शुक्रवार के दिन बेहद ही लाभकारी होती है, क्योंकि यह दिन उन्हें प्रिय और समर्पित है। इसके अलावा उनके 108 नामों का जाप भी बहुत पुण्यदायी माना गया है, जो इस प्रकार हैं।

॥ भगवान कुबेर की आरती॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे

स्वामी जय यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे

शरण पड़े भगतों के

भंडार कुबेर भरे

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े

स्वामी भक्त कुबेर बड़े

दैत्य दानव मानव से

कई-कई युद्ध लड़े

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे

सिर पर छत्र फिरे

स्वामी सिर पर छत्र फिरे

योगिनि मंगल गावैं

सब जय जय कार करे

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे..

गदा त्रिशूल हाथ में

शस्त्र बहुत धरे

स्वामी शस्त्र बहुत धरे

दुख भय संकट मोचन

धनुष टंकार करें ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने

स्वामी व्यंजन बहुत बने

मोहन भोग लगाएं

साथ में उड़द चने ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥

बल बुद्धि विद्या दाता

हम तेरी शरण पड़े

स्वामी हम तेरी शरण पड़े

अपने भक्त जनों के

सारे काम संवारे

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥

मुकुट मणी की शोभा

मोतियन हार गले

स्वामी मोतियन हार गले

अगर कपूर की बाती

घी की जोत जले

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥

यक्ष कुबेर जी की आरती

जो कोई नर गावे

स्वामी जो कोई नर गावे

कहत प्रेमपाल स्वामी

मनवांछित फल पावे

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे॥

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