महेश नवमी पर इस समय करें भगवान शिव की पूजा

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 15 जून को देर रात 12 बजकर 03 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 16 जून को देर रात 02 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। 15 जून को महेश नवमी है। इस दिन सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। इसके अगले दिन यानी 16 जून को गंगा दशहरा है।

सनातन पंचांग के अनुसार, 15 जून को महेश नवमी है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत-उपवास रखा जाता है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि माहेश्वरी समाज के लिए विशेष होता है। धर्म शास्त्रों में निहित है कि माहेश्वरी समाज के वंश की उत्पत्ति ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर हुई है। इसके लिए माहेश्वरी समाज के लोग इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-उपासना करते हैं। धार्मिक मत है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो महेश नवमी पर दुर्लभ वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग भी बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते है-

वरीयान योग

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 08 बजकर 12 मिनट से हो रहा है। भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में होती है। साधक वरीयान योग में भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

रवि योग

महेश नवमी पर रवि योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 08 बजकर 14 मिनट से हो रहा है और इसका समापन अगले दिन यानी गंगा दशहरा को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है। रवि योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है।

शिववास योग

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर शिववास योग का बन रहा है। शिववास योग दिन भर है। वहीं, इस योग का समापन 16 जून को देर रात 02 बजकर 32 मिनट पर हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से साधक को मनचाहा वर प्राप्त होता है। इसके अलावा, बालव और कौलव करण के भी योग बन रहे हैं।

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