जून में कब है रोहिणी व्रत? इस विधि से करें भगवान वासुपूज्य की आराधना!

जैन समुदाय के लिए रोहिणी व्रत एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। जिस दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। इस बार 06 जून (Rohini Vrat 2024 Date) को किया जाएगा। मान्यता है कि इस व्रत करने से पति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है और जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं रोहिणी व्रत पर भगवान वासुपूज्य की पूजा किस तरह करनी चाहिए? 

रोहिणी व्रत पूजा विधि (Rohini Vrat Puja Vidhi)

रोहिणी व्रत के दिन सुबह स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस दौरान सच्चे मन से ‘ॐ सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करें। चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा विराजमान करें। इसके बाद भगवान वासुपूज्य को फल, फूल समेत आदि चीजें अर्पित करें। इस व्रत में रात्रि में भोजन करना वर्जित है। ऐसे में सूर्यास्त होने से पहले ही आरती और फलाहार करें। माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान करना कल्याणकारी होता है।  

वासुपूज्य भगवान की आरती

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।

पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।

चंपापुर नगरी भी स्वामी, धन्य हुई तुमसे।

जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे स्वामी, मात पिता हरषे ।।

बालब्रह्मचारी बन स्वामी, महाव्रत को धारा।

प्रथम बालयति जग ने स्वामी, तुमको स्वीकारा ।।

गर्भ जन्म तप एवं स्वामी, केवल ज्ञान लिया।

चम्पापुर में तुमने स्वामी, पद निर्वाण लिया ।।

वासवगण से पूजित स्वामी, वासुपूज्य जिनवर।

बारहवें तीर्थंकर स्वामी, है तुम नाम अमर ।।

जो कोई तुमको सुमिरे प्रभु जी, सुख सम्पति पावे।

पूजन वंदन करके स्वामी, वंदित हो जावे ।।

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।

पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।  

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