भगवान विष्णु को जगत के पालनहार के रूप में भी जाना जाता है। भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है। विष्णु सहस्रनाम एक प्राचीन स्तोत्र है जिसमें भगवान विष्णु के सहस्र अर्थात हजार नामों का उल्लेख मिलता है। ऐसे में यदि कोई साधक पूरे विधि-विधान से रोजाना इसका पाठ करता है तो उसे जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं।
माना जाता है कि जिस साधक पर प्रभु श्री हरि की कृपा दृष्टि पड़ती है, उसे जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। ऐसे में आप रोजाना विष्णु सहस्रनाम का पाठ करके भगवान श्री हरि के कृपा के पात्र बन सकते हैं, लेकिन इसके पाठ से पहले कुछ नियमों का ध्यान रखा जाना भी जरूरी है। तो चलिए जानते हैं विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने के नियम।
कब कर सकते हैं पाठ
वैसे तो विष्णु सहस्रनाम का पाठ नियमित रूप से अपनी सुविधानुसार किसी भी समय किया जा सकता है। लेकिन सूर्योदय के समय इसका पाठ करना सबसे बेहतर माना गया है। सबसे पहले श्रद्धा भाव से विष्णु जी और माता लक्ष्मी का आह्वान करें और इसके बाद पाठ शुरू करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा हमेशा घर-परिवार पर बनी रहती है।
जरूर ध्यान रखें ये बातें
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने के पहले साधक को अपनी पवित्र और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। व्रत रखकर ही पाठ करें। विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करते समय, मंदिर में ‘जल कलश’ या एक गिलास पानी अवश्य रखें और पीले रंग के वस्त्र पहनकर ही विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
इस दौरान इस बात का ध्यान जरूर रखें की आपका उच्चारण एकदम सही होना चाहिए। पाठ पूरा होने के बाद श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा करके गुड़ या पीली मिठाई अर्पित करें। इस बात का भी ख्याल रखें कि पाठ करते समय पूरा ध्यान केवल पाठ पर ही होना चाहिए, बीच में कोई अन्य कार्य न करें।
मिलते हैं ये लाभ
विष्णु सहस्रनाम के पाठ द्वारा विष्णु जी के हजार नामों का ध्यान करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है। साथ ही पूरे विधि-विधान से इसका पाठ करने से जातक के विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर होने लगती हैं। इसका नियमित पाठ व्यक्ति के मन से भय और तनाव को दूर होता है। साथ ही ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, बृहस्पति की पीड़ा दूर करने के लिए इसका पाठ करना अति फलदायी है। इस पाठ को करने से साधक के घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।